दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर कयासों के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल अनिल बैजल और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर हमला बोला है। एक के बाद एक कई ट्वीट कर उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड की फाइलों की जांच का बहाना बनाकर कहा कि दिल्ली सरकार और दिल्ली की जनता दोनों को परेशान किया जा रहा है। बता दें कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के पदेन अध्यक्ष हैं।
ट्वीट के माध्यम से आम आदमी पार्टी (AAP) मुखिया अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया- ‘केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) और एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने अचानक ही दिल्ली जल बोर्ड की फाइलें जांच के लिए ले लीं। …क्योंकि मैं अब मिनिस्टर इन चार्ज हूं। मकसद है कि मुझे किसी तरह फ्रेम किया जाए।’
वहीं, दूसरे ट्वीट में उन्होंने सवालिया लहजे में पीएम, एलजी और भारतीय जनता पार्टी से पूछा है- ‘अगर आपको कोई जानकारी चाहिए तो कृपया जांच करें। …लेकिन दिल्ली सरकार के महकमों को लकवाग्रस्त बनाकर दिल्ली के लोगों को आरोपी न बनाएं।’
सबसे आखिरी ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने कहा है- ‘मैंने सारी फाइलें पब्लिक डोमेन में डाली हैं। पीएम और एलजी बताएं कि उन्हें ये फाइलें क्यों चाहिए।…वरना दिल्ली की जनता से माफी मांगें।’
जानें पूरा मामला, क्यों टैंकर घोटाले से जुड़ा केजरीवाल का नाम
यहां पर बता दें कि दिल्ली की राजनीति में जल संसाधन मंत्री कपिल मिश्रा ने पद से हटाये जाने के साथ ही गंभीर आरोप लगाकर घमासान मचा दिया था। कपिल का कहना है कि वाटर टैंकर घोटाले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का नाम है और इसी को लेकर विवाद भी शुरू हुआ था। हालांकि वाटर टैंकर घोटाला शीला दीक्षित सरकार के समय का ही है।
वाटर टैंक घोटाले में आरोप है कि 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने 385 स्टील के टैंकर किराये पर लिए। उस समय दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित ही दिल्ली जलबोर्ड की अध्यक्ष भी थी। आरोप है कि इसमें 400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।
इस घोटाले को उजागर करने के लिए 2015 में कपिल मिश्रा की अध्यक्ष्ता में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कहा था कि इसमें 400 करोड़ का घोटाला हुआ है और टैंकर को किराए पर लेने में जमकर भाई भतीजावाद हुआ है।
इस मामले की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो से की गई थी। शिकायत करने वाला कोई और नहीं बल्कि कपिल मिश्रा ही थे। कपिल के अलावा भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी इसकी शिकायत एबीसी को की थी। एबीसी ने 2016 में एफआईआर दर्ज कर कपिल मिश्रा से पूछताछ की। पूछताछ पूर्व सीएम शीला दीक्षित से भी हुई थी।
इस मामले में एक मोड़ तब आया जब भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि टैंकर घोटाले की फाइल सीएम अरविंद केजरीवाल ने दबा ली है। विजेंद्र गुप्ता की शिकायत के बाद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पूछताछ भी की गई।
ऐसा माना जाता है कि कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले से जुड़ी रिपोर्ट जो केजरीवाल को सौंपी थी उसके खुलासे से शीला दीक्षित के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के कुछ लोगों के लिए भी समस्या हो सकती थी।
कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया था कि खुद केजरीवाल ने टैंकर घोटाले की रिपोर्ट दबा दी थी, ताकि इसमें लिप्त आम आदमी पार्टी के लोगों को बचाया जा सके। माना जा रहा है कि कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल से मिलकर बता दिया था कि टैंकर घोटाले को सार्वजनिक करने में हो रही देरी को वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसी घटना के बाद कपिल का मंत्री पद छीन लिया गया।