किसी भी देश में दो तरह के लोग होते हैं, एक- जो अच्छे अंकों के पीछे भागते हैं और अच्छी नौकरी करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं और दूसरे वो, जो ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं, जो अमेरिका में अपनी कंपनी चलाने के बाद भी तमिलनाडु के एक गांव में स्कूल चला रहे हैं।
अमेरिका में अपने दम पर कंपनी खड़ा कर नाम कमा चुके श्रीधर वेंबू भारत वापस लौटकर गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश में हैं। अमेरिकी कंपनी जोहो के संस्थापक श्रीधर मौजूदा समय में तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तेनकासी में बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं।
वेंबु का सपना गांव में स्कूलों में पढ़ाई के लिए स्टार्टअप खोलने का है। बताते चले कि श्रीधर की कंपनी की नेटवर्थ 18,000 करोड़ रुपये है और अभी श्रीधर बच्चों को गांव में मुफ्त में पिछले छह महीनों से होम ट्यूशन दे रहे हैं। श्रीधर एक स्टार्टअप खोलना चाहते हैं, जिसके तहत वो बच्चों को मुफ्त में शिक्षा और भोजन देंगेे।
श्रीधर का कहना है कि वो शिक्षा का एक ऐसा मॉडल बनाना चाहते हैं, जिसमें डिग्री और नंबरों को महत्व नहीं दिया जाएगा। वेंबु का कहना है कि उनका लक्ष्य बच्चों को जमीनी तौर पर शिक्षित करना है। नए प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने पेपर वर्क भी तैयार कर लिया है। उनका स्टार्टअप सीबीएसई और किसी पारंपरिक बोर्ड से संबंधित नहीं होगा।
वेंबु का मानना है कि सभी बच्चों को यह याद दिलाना जरूरी है कि नंबरों से ज्यादा आपको नॉलेज के पीछे भागना चाहिए। वेंबु ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल चलाने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कई बच्चों के पास पढ़ाई के लिए पर्याप्त स्मार्टफोन नहीं थे।
वेंबु ने कहा कि ऐसे कई छात्र होते हैं जो पढ़ने में काफी होशियार होते हैं लेकिन वो सिर्फ नंबरों पर फोकस करते हैं। उन्होंने कहा कि वो कुछ ऐसे छात्रों को भी जानते हैं जो बहुत अच्छे नंबर नहीं लाते हैं लेकिन पढ़ाई में आगे होते हैं।