New Delhi : गोरखपुर में हाल ही में हुई 60 से ज्यादा बच्चों की मौत को लेकर दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गोरखपुर ट्रेजडी पर स्वत: संज्ञान (स्यू मोटो) लेने से इनकार कर दिया।
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चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने पिटीशनर से कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमें भरोसा है वे खुद मामले को देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने को कहा।
वहीं, शिवसेना ने योगी और मोदी सरकार की अालोचना की है। पार्टी ने अपने माउथपीस ‘सामना’ में इस घटना को ‘सामूहिक बालहत्या’ करार दिया है और इसे स्वतंत्रता दिवस का अपमान बताया है।
शिवसेना ने सामना में लिखा है, “उत्तर प्रदेश का बाल हत्या तांडव स्वतंत्रता दिवस का अपमान है। हॉस्पिटल में 70 बच्चों की मौत को ‘सामूहिक बालहत्या’ ही कहेंगे। ये गरीबों की बदकिस्मती है।”
”गरीबों का दुख, उनकी वेदना और उनकी ‘मन की बात’ को समझने के बजाए उनकी वेदनाओं की खिल्ली उड़ाई जा रही है। जो हुआ है, उसके लिए जिम्मेदार कौन है?”
सामना के अपने एडिटोरियल में शिवसेना ने मोदी सरकार पर कमेंट करते हुए लिखा है, ”केंद्र में सत्ता परिवर्तन होने के बावजूद आज भी सरकारी हॉस्पिटल्स में गरीब और ग्रामीण लोगों के लिए ‘अच्छे दिन’ नहीं आए हैं।”
शिवसेना ने इस घटना को स्वतंत्रता की विफलता करार देते हुए लिखा है, “गरीबों का दुख और उनकी वेदना नेताओं को झंझोड़ती नहीं है। यही हमारे स्वतंत्रता की विफलता है।”
पार्टी ने योगी कैबिनेट के हेल्थ मिनिस्टर पर निशाना साधते हुए लिखा है, “उत्तर प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर का कहना है कि अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं। तो हमारा सवाल है कि अगस्त महीने में सिर्फ गरीबों के बच्चे ही क्यों मरते हैं? अमीरों के बच्चों के साथ ऐसा क्यों नहीं होता?”
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