नौकरियों पर सरकार की करुणा बरसी है। सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए नीति में बदलाव किया है। अब मृतक के आश्रितों को पहले से अधिक रोजगार मिल सकेगा। आय की सीमा भी बढ़ा दी है। पहले डेढ़ लाख से सवा दो लाख और फिर ढाई लाख किया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रश्नकाल के दौरान विधायक अनिरुद्ध सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू, सुरेंद्र शौरी व रविंद्र कुमार के सवाल के जवाब में दी। उन्होंने कहा कि पहले वित्त विभाग के पास केस जाते थे, अब संबंधित विभागों को ही निपटाने की पावर दे दी है। विभागों को सख्त निर्देश दिए हैं। वे एक दिन मामलों को लंबित नहीं रखेंगे।
जयराम ठाकुर ने पूर्व कांग्रेस सरकार पर अमानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने करुणामूलक नौकरियों के लिए आयु सीमा 50 साल तय की थी। अगर इसके बाद किसी कर्मचारी की मौत होती थी तो उनके आश्रित नौकरी के लिए पात्र ही नहीं होते थे। यह अटपटा व्यवस्था थी, क्योंकि मौत पर किसी का नियंत्रण नहीं है, हमारा- आपका किसी का भी नहीं। मौजूदा सरकार ने इस प्रावधान को बदला है।
रिटायरमेंट के दिन भी अगर किसी कर्मचारी की मौत होती है तो उस परिवार का एक सदस्य नौकरी पाने के लिए पात्र होगा। ऐसे मामलों में डेट ऑफ डेथ से वरिष्ठता गिनी जाएगी। मौत के चार साल तक पीडि़त परिवार के सदस्य करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए आवेदन कर सकेंगे। पहले तीन साल का प्रावधान था। आय सीमा दो बार बढ़ाई गई है। पांच फीसद कोटे के आधार पर नौकरी मिलेगी। सरकार ने एक और नया प्रावधान किया है। पांच फीसद कोटे के अलावा कैबिनेट विशेष केस को अलग से मंजूरी दे सकेगा। इससे जरूरतमंद परिवारों को राहत मिलेगी लेकिन सभी लंबित मामलों को एकमुश्त राहत नहीं दी सकती है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश आड़े आएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि करुणामूूलक पर नौकरी मांगना अधिकार नहीं है। ऐसा मानवीय आधार पर ही संभव होगा। उन्होंने बताया कि 145 विभागों में 4040 मामले लंबित हैं। कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूछा कि क्या सरकार सभी मामलों में एकमुश्त राहत देगी? विधायक रविंद्र कुमार ने पूछा कि क्या लंबित मामलों को निपटाने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित करेगी? सुरेंद्र शौरी ने मांग की कि विधायकों की सिफारिश पर भी सरकार इस तरह के मामलों में नौकरी प्रदान करेगी? जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नीति में बदलाव किया हैं। लंबित मामलों का निपटारा प्राथमिकता पर होगा।