एजेंसी/ हृदय हमारे शरीर में सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है. संपूर्ण शरीर मे रक्त परिसंचरण हृदय की मांसपेशी के जरिये ही होता है. कोरोनरी धमनी के माध्यम से दिल की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति होती रहती है और इसी प्रक्रिया से दिल की पेशियां जीवंत रकर कार्यक्षम बनी रहती है. जब इन रक्त वाहिकाओं में खून का थक्का जमने से रक्त परिभ्रमण रूक जाता है तो हार्ट अटैक का दौरा पड जाता है.
हृदय की जिन मांस पेशियों को रक्त की आपूर्ति नहीं होती हैं वे मरने लगती हैं. हार्ट अटैक पडने के बाद के 1-2 घंटे रोगी के जीवन को बचाने की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण होते हैं. बिना देर किये फ़ौरन मरीज को किसी बडे अस्पताल में पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिये. प्राथमिक चिकित्सा के तौर पर रोगी की जिबान के नीचे सोर्बिट्रेट और एस्प्रिन की गोली रखना चाहिये. समय पर ईलाज मिलने से रक्त का थक्का घुल जाता है और प्रभावित मांसपेशी फ़िर से काम करने लगती है.
रोगी को छाती के मध्य भाग में दवाब,बैचेनी,भयंकर दर्द,भारीपन और जकडन मेहसूस होती है. यह हालत कुछ समय रहकर समाप्त हो जाती है लेकिन कुछ समय बाद ये लक्षण फ़िर उपस्थित हो सकते हैं.
अगर यह स्थिति आधा घंटे तक बनी रहती है और सोर्बिट्रेट गोली के इस्तेमाल से भी राहत नहीं मिलती है तो यह हृदयाघात का पक्का प्रमाण मानना चाहिये. छाती के अलावा शरीर के अन्य भागों में भी बेचैनी मेहसूस होती है. भुजाओं, कंधों, गर्दन, कमर और जबडे में भी दर्द और भारीपन महसूस होता है.
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