अयोध्या विवाद पर अरशद मदनी ने मीडिया से कहा है कि सुनवाई के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकीलों का पैनल सारी तैयारी पूर्ण कर चुका है. इतना ही नहीं वकीलों ने इस मामले पर अदालत में मजबूत पैरवी ही नहीं की है, बल्कि अदालत को मस्जिद से जुड़े तमाम प्राचीन दस्तावेज भी उपलब्ध कराए हैं, जिनका अनुवाद भी जमीयत ने करवा दिया है.
अयोध्या विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इस बीच सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन भी किए जाने का आदेश अदालत ने दिया है. वहीं सुनवाई शुरू होने से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा है कि हम अदालत के निर्णय का सम्मान करेंगे, लेकिन इसके लिए दूसरे पक्षकार और फिरकापरस्त संगठन राजी नहीं है.
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मौलाना मदनी ने कहा है कि यह एक मजहबी मुद्दा नहीं है, बल्कि संविधान और कानून के सम्मान से जुड़ा हुआ मसला है. इसलिए आस्था की बुनियाद पर इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता. मुसलमान इस मुल्क के शांतिप्रिय लोग हैं और मुल्क के संविधान का खुले दिल से सम्मान करते हैं. यही वजह है कि फिरकापरस्त ताकतों की सभी धमकियों के बाद भी आज तक देश के मुसलमानों ने सब्र का दामन नहीं छोड़ा है. मदनी ने ये भी कहा कि कुछ फिरकापरस्त ताकतें अदालत पर इस मामले को लेकर दबाव डाल रही हैं.