पंखे हर जगह पर आम तौर पर इस्तेमाल होते ही है क्योंकि गर्मी को मिटाने के लिए ये सबसे परखा हुआ और बेहतरीन तरीका है इस बात में कोई भी शक नही है लेकिन आज हम आपको कुछ बड़ी ही ख़ास बात बताने वाले है जो शायद आपको मालूम नही होगी। आपने संसद तो देख ही रखी होगी जहाँ पर सेन्ट्रल हॉल में देश के बड़े बड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है और ये चर्चा ही देश का भविष्य तय करती है और हमारी जिन्दगी की ग्रोथ से लेकर के हर बड़े फैसले भी यही पर ही लिए जाते है।
अगर आपने यहाँ के सेन्ट्रल हॉल को जरा ध्यान से देखा होगा तो यहाँ पर पंखे छतो पर नही बल्कि जमीन से ऊपर की ओर उलटे लगे होते है। आम तौर पर तो आपने भी देख ही रखा होगा लेकिन अगर नही देखा होगा तो अगली बार संसद की विडियो में नोटिस करियेगा।
अब सवाल ये उठता है कि इसके पीछे आखिर क्या कारण है? दरअसल संसद आज से एक सदी पहले ही बन गयी थी और उस वक्त एयर कंडीशनर तो थे नही, ऐसे में संसद में पंखे लगाने थे तो देखा कि ये बिल्डिंग पंखे के हिसाब से तो है नही क्योंकि ऊपर बहुत ही उंचा गुम्बद है और वहां से पंखे की हवा इतने नीचे तक कैसे लायी जायेगी? डंडा इतना लंबा लगना होगा और ये उतना कारगर होगा नही तो ऐसा किया गया कि संसद में पंखे उलटे ही लगा दिए गये ताकि हवा पास से ही सांसदों तक आती रहे।
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ये तरीका काम कर गया और जब संसद को नए तरीके से बनाया गया तब भी इसकी ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए संसद में पंखो को उलटा ही रखा गया ताकि इसकी भव्यता को यूँही बनाया रखा जा सके और वाकई में भारत की संसद तो सबसे अलग है।