वैश्विक महामारी का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस को हराने के लिए भारत में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। पीएम मोदी ने कोरोना को हराने के लिए शुक्रवार (3 अप्रैल 20202 को) देश को तीसरी बार संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लोगों से 5 अप्रैल को घर के बाहर रोशनी करने की अपील की। आइये जानतें हैं- क्या है पीएम की इस अपील का वैज्ञानिक व आध्यात्मिक महत्व।
पीएम मोदी इससे पहले 20 मार्च 2020 को पहली बार कोरोना वायरस को हराने के लिए देश को संबोधित किया था। उन्होंने रविवार (22 मार्च 2020) को सुबह 7 बजे से रात नौ बजे तक जनता कर्फ्यू की अपील की थी। इस दौरान उन्होंने लोगों को शाम पांच बजे, पांच मिनट के लिए घरों से ताली, थाली, शंख व घंटी आदि बजाने की भी अपील की थी। उनकी इस अपील पर पूरे देश में लोगों ने अपनी बालकनी और घर के दरवाजे पर खड़े होकर ताली, थाली, शंख व घंटी बजाया था।
अमेरिका के मिशिगन में भी हुआ कुछ ऐसा
अमेरिका के बेवर्ली हिल्स (Beverly Hills) में 31 मार्च 2020 को दक्षिण पूर्व मिशिगन (Michigan) में कोरोना वायरस बीमारी से जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति लोगों ने समर्थन का इजहार किया। इसके लिए सपोर्ट दिखाते हुए लोगों ने अपने घर के करीब स्थित अस्पतालों की ओर फ्लैशलाइट जलाई।
यह भी पढ़ें: गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा, बोलें- लोगों को गुमराह करना बंद करो
नौ मिनट तक जगमग हो भारत: पीएम का आग्रह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को संबोधित किया और कोरोना वायरस से लड़ाई में जनता के धैर्य व बरते जा रहे अनुशासन की सराहना करते हुए धन्यवाद भी कहा। इसके बाद उन्होंने 5 अप्रैल को रात 9 बजे मोबाइल फ्लैशलाइट, मोमबत्ती, टॉर्च और दीये जलाने को कहा है।
निगेटिव चीजों को नष्ट करने में प्रकाश की अहम भूमिका
पूजा के समय दीपक जलाने का बड़ा महत्व है वहीं कई धर्म में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। वैज्ञानिक नजरिए से प्रकाश का अपना अलग महत्व है। रोशनी में गर्मी तो होती ही है साथ ही यह निगेटिव चीजों को नष्ट भी करता है जैसे बैक्टीरिया, वायरस आदि।
दीप प्रज्जवलन का सनातन धर्म में अहम स्थान
दीये जलाने को सनातन धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। सकारात्मक तौर पर इस कार्य को लेते हुए इसका अर्थ जीवन को प्रकाशित करने से जोड़ा गया है। यह भी मानना है कि दीपक दुख, दारिद्रय और दुर्भाग्य को दूर करता है। शास्त्रों में भी दीया जलाने को महत्व दिया गया है। रोशनी को रक्षा कवच के तौर पर लिया जाता है जिससे सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में निरंतरता रहती है।
‘जनता कर्फ्यू’ के दिन ध्वनि की गूंज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इस घातक वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया था जो अभी जारी है। प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू किया था और शाम पांच बजे सबको थाली, घंटी या ताली बजाने का आग्रह किया था। यह यूं ही नहीं कहा गया था बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार है। दरअसल, ध्वनि से निगेटिव चीजें खत्म होती हैं।
घंटी बंद होने के बाद भी 7 सेकेंड तक रहती है गूंज
सनातन धर्म-संस्कृति में करतल ध्वनि, घंटा ध्वनि, शंख ध्वनि का अहम स्थान है। एक ओर जहां पूजा पाठ में इन ध्वनियों की गूंज महत्व रखती है वहीं इसका चिकित्सकीय महत्व भी है। आचार्य प्रो. बी एन द्विवेदी, भौतिकी विभाग, आइआइटी-बीएचयू के अनुसार, घंटियां इस तरह से बजनी चाहिए कि इससे उत्पन्न आवाज हमारे दिमाग के बाएं और दाएं हिस्से में एक एकता पैदा करेेे।घंटी बजने से तेज और स्थायी आवाज पैदा होती है जिसका गूंज न्यूनतम 7 सेकंड तक बरकरार रहती है।
देश भर में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 2331 पर पहुंच गया है। वर्ष 2019 के अंतिम महीने दिसंबर में चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद तीन महीनों में ही इसने महामारी का रूप ले दुनिया भर के 205 देशों को संक्रमित कर दिया।