भारतीय क्रिकेटरों की बात करें, तो भारत में कई क्रिकेटर हैं जो दुनिया के सबसे मशहूर और अमीर लोगों में आते हैं। वैसे यहां तक पहुंचाना आसान नहीं है और ऐसा ही एक सफर है भारतीय टेस्ट टीम के उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे का, जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है।
अजिंक्य रहाणे को आज हर कोई जानता है। भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया टीम के खिलाफ विराट चोटिल हो गए थे, तो रहाणे ने ही भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाली और भारत को सीरीज में विजेता बनाया। रहाणे ने यहा तक का सफर कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज वो विश्व क्रिकेट में नाम कमा रहे हैं।
रहाणे के पिता मधुकर और मां सुजाता ने रहाणे को यहां तक पहुंचना में एक खास भूमिका निभाई है। रहाणे के पिता मधुकर और मां सुजाता ने हर राह पर अपने बेटे के साथ खड़े रहे।
रहाणे के पिता के मुताबिक हमारी हालत उस समय इतनी भी सही नहीं थी कि रहाणे के प्रेक्टिस के लिए एक ऑटो भी कर सके। रहाणे की मां सुजाता उनके भाई शशांक को गोद में लेकर दो किमी दूर प्रैक्टिस कराने के लिए ले जाया करती थी। फिर वापस भी लाया करती थी।
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रहाणे पैदल चल कर जब थक जाते तो उनके मां एक हाथ में उनके भाई और दूसरे हाथ में उनके भारी किट बैग को अपने साथ लेती थी ताकि रहाणे को ज्यादा थकान न हो। रहाणे जब भी ऑटो के लिए जिद करते थे, तो उनकी मां बहाना बनाकर मना कर देती थी, क्योंकि उनके पास ऑटो के पैसे नहीं होते थे।
जब रहाणे सात साल का था, तब मैं उसे पहली बार मैटिंग विकेट वाले कैंप में ले गया था। हम उसे इससे बेहतर सुविधा नहीं दे सकते थे। कैंप में एक दिन रहाणे से एक तस्वीर के बारे में पूछा गया था, जिसे देखकर रहाणे ने कहा था कि, ये सचिन हैं और एक दिन वो उनके साथ जरुर खेलेंगे।