बीते शुक्रवार राजधानी दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास के बाहर हुए आईईडी ब्लास्ट ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. इस घटना के बाद इतिहास के पन्ने पलटते हैं तो यह किसी बड़ी घटना को अंजाम देने से पहले की आहट लगती है. दरअसल, 9 साल पहले भी कुछ यूं ही बड़े धमाके से पहले धमाके की रेकी की गई थी. रेकी के 3 महीने बाद बड़े धमाके को अंजाम दिया गया था जिसमें 15 लोग मारे गए थे.

दिल्ली हाई कोर्ट के परिसर में साल 2011 में 7 सितंबर को बम धमाका हुआ था. हाई कोर्ट के गेट नंबर 4 और 5 के बीच में हुए इस बम विस्फोट में 15 लोगों की जान चली गई थी जबकि 79 लोग जख्मी हुए थे.
इससे ठीक पहले उसी साल यानी 2011 की 25 मई को हाई कोर्ट परिसर के गेट नंबर 7 पर दोपहर 1 बजे धमाका हुआ था. इस धमाके में कोई हताहत नहीं हुआ था. ये विस्फोटक एक प्लास्टिक के बैग में एक कार के पास रखा गया था. गनीतम यह थी कि इस घटना में किसी को चोट नहीं आई थी. हालांकि यह अभी पता नहीं चल सका कि इस घटना के पीछे किस संगठन या व्यक्ति का हाथ था.
सुरक्षा एजेंसियां इजरायल एम्बेसी धमाके को भी एक रेकी के तौर पर देख रही हैं. एजेंसियों को शक है कि ये धमाका किसी ईरानी संगठन की साज़िश है. क्योंकि हाल ही में एक ईरानी कमांडर और साइंटिस्ट को मार दिया गया था.
ईरान के सबसे शक्तिशाली सैन्य कमांडर और खुफिया प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिका द्वारा ड्रोन हमले में जनवरी में हत्या कर दी गई थी.
ईरानी न्यूक्लियरसाइंटिस्ट मोहसेन फखरीजादेह की भी साल 2020 में हत्या कर दी गई थी. घटनास्थल से एक पत्र भी बरामद हुआ है. जिसमें बदला लेने की बात कही गई है और ईरान की इन घटनाओं का जिक्र किया गया है. ऐसे में चर्चाएं तेज हैं कि यह कहीं किसी बड़ी घटना की आहट तो नहीं है.
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