होली के दौरान बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गुब्बारे खतरनाक साबित हो सकते हैं और इससे आंखों या सिर तक को गंभीर नुकसान हो सकता है।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक अधिकतर सिंथेटिक रंग आंखों या त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं। घर में तैयार किए जाने वाले रंग हमेशा बेहतर होते हैं। रासायनिक रंगों में भारी धातुएं जैसे सीसा आदि हो सकती हैं और ये आंख और त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं।
अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, जो भारी धातु की वजह से होती हैं, उनमें स्किन एलर्जी, डर्माटाइटिस, त्वचा का सूखना या चैपिंग, स्किन कैंसर, राइनाइटिस, अस्थमा और न्यूमोनिया आदि शामिल हैं।
कैसे खुद बनाएं रंग?
*आटे में हल्दी मिलाकर पीला रंग बनाएं।
*टेसू के फूल की पत्ती से केसरिया रंग तैयार करें।
*चुकंदर के टुकड़ों को पानी में भिगोकर मैजेंटा रंग बना सकते हैं।
क्या करें?
अगर रंग में रासायनिक तत्व होंगे तो इससे आंखों में हल्की एलर्जी होगी या फिर बहुत तेज जलन होने लगेगी। मरीज में एलर्जी की समस्या, केमिकल बर्न, कॉर्नियल एब्रेशन और आंखों में जख्म की समस्या हो सकती हैं।
होली के दौरान आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर रंग हल्के लाल रंग के होते हैं और इसका असर 48 घंटे तक रहता है। अगर आंख की दृष्टि स्पष्ट न हो तो तुरंत इमरजेंसी में दाखिल कराया जाना चाहिए।
रंग में मिलाए जाने वाले तत्व (गुलाल में मिलाया जाने वाला चमकदार अभ्रक) से कॉर्निया को नुकसान हो सकता है। कॉर्नियल अब्रेशन एक इमरजेंसी की स्थिति होती है और इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
फस्ट एड : अगर कोई भी रंग आंख में चला जाता है तो इसे बहते हुए नल से धोएं। अगर दृष्टि में कमी हो तो कॉर्नियल अब्रेशन से बचाव के लिए आंख के डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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