नक्सलियों के शहादत सप्ताह के दौरान नक्सली बंदी से पहले माओवादियों ने अपनी धमक दिखाते हुए फिल्मी अंदाज में किउल-जमालपुर रेलखण्ड और किउल-झाझा रेलखंड के दो केबिन मैनों का अपहरण कर लिया और रात भर ट्रेन परिचालन बाधित कर दिया। वारदात की कहानी, अपहृत केबिन मैनों की जुबानी।
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‘घड़ी में टाइम तो नहीं देखे थे, लेकिन रात के साढ़े 11 बज रहा होगा। पूरा अंधेरा था। 15-20 की संख्या में नक्सली हथियार के साथ आ धमके। हमको बोला -स्टेशन फोन करो। बात करने लगे तो फिर फोन लेके अपने से भी बोला, कि हम माओवादी बोल रहे हैं, ट्रेन रोक दो। उसके बाद हमको लेके नहर की ओर चले गए।”
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नक्सली वारदात की आंखों देखी बता रहा शहीद जितेंद्र हॉल्ट(गोपालपुर) का गेट मैन मुनिलाल ने आगे कहा कि अपहरण करने के करीब एक घंटे बाद खेत के पास ही छोड़ दिया। वहां से फिर वापस वह केबिन आ गया। सुबह ट्रैक जांच के बाद ट्रेन परिचालन सामान्य हुआ।
उरैन केबिन मैन प्रमोद ने बताया कि रात में 10:50 बजे नक्सली 10-15 की संख्या में आ धमके और कहा गाड़ी-वाड़ी बैंड करवाइए। लाल झंडी दिखाके या फोन कर के जैसे भी बंद कराना है। फोन करने लगे त उ सब भी आवाज किया-बंद कीजिए।
फिर लेकर साथे चले गए। फिर खेत इधर ले जाकर बोले-कुछ भी हो जाए, केबिन नहीं जाना है। फिर हम 2 बजकर 10 मिनट पर उरैन स्टेशन पहुंचे। और वहां से पुलिस के आने के बाद फिर केबिन लौटे। पहली गाड़ी फरक्का एक्सप्रेस को 5:30 बजे के करीब रवाना किए।
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