नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर मचे बवाल के बीच NRC का विरोध करने वाले राज्यों में एक नाम और जुड़ सकता है. झारखंड से भारतीय जनता पार्टी की सरकार जाते ही राज्य के भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीएए और एनआरसी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वो राज्यहित के मुताबिक इस पर फैसला लेंगे.

23 दिसंबर को आए नतीजों में झारखंड मुक्ति मोर्चा को शानदार समर्थन मिलने के बाद हेमंत सोरेन ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. जब हेमंत सोरेन से झारखंड में एनआरसी लागू करने या ना करने पर जब सवाल किया तो उन्होंने दस्तावेज का हवाला देकर खुले तौर पर तो इसका विरोध नहीं किया, लेकिन ये जरूर कहा कि इस प्रक्रिया से नोटबंदी की तरह लोगों को लाइनों में लगना पड़ेगा, जिसमें बहुत लोगों की मौत तक हो गई थी.
हेमंत सोरेन ने कहा, ‘अभी हमारे पास कोई दस्तावेज नहीं है, कुछ आएगा तो देखेंगे-परखेंगे, राज्य हित में कैसा होगा तब फैसला लेंगे. लेकिन प्रथम दृष्टया ये लाइन में लगाने वाला नजर आ रहा है. लोगों को कागज तलाशने पड़ेंगे. 18 करोड़ से अधिकर खेतिहर मजदूर हैं, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है. वो मजदूर रोजगार देखेगा या कागज ढूंढेगा. ये तय है कि नोटबंदी की तरह ही लोगों को लाइन में लगना पड़ेगा.’
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