दिल टूटना कोई फिल्मी बात नहीं, बल्कि एक मेडिकल कंडिशन है। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम , जिसे ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी भी कहते हैं, एक ऐसी दिल से जुड़ी समस्या है, जिसमें किसी इमोशनल स्ट्रेस के कारण दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
इसके लक्षण लगभग हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं, जैसे- सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और थकान। इसके प्रभाव काफी गंभीर होते हैं कि इसके कारण व्यक्ति की समय से पहले मौत का खतरा दोगुना हो जाता है। लेकिन एक स्टडी में पता चला है कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से उबरने में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) काफी मददगार साबित हो सकता है। आइए जानें कैसे।
CBT कैसे काम करती है?
CBT एक साइकोथेरेपी है, जो इस सिद्धांत पर काम करती है कि हमारे विचार, भावनाएं और व्यवहार आपस में जुड़े हुए हैं। ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की अहम वजह इमोशनल स्ट्रेस है, जो न केवल दिमाग पर, बल्कि शारीरिक रूप से दिल पर भी असर डालता है। CBT इसी आघात से उबरने में मदद करती है। इस स्टडी में देखा गया कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मरीजों में 12 हफ्ते CBT के बाद दिल की काम करने की क्षमता में काफी सुधार देखने को मिला।