हार की हैट्रिक के बाद की थी वापसी, अब अपना पहला विश्व कप खिताब जीता

हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली भारतीय महिला टीम ने इतिहास रच दिया है। भारत का रविवार को महिला वनडे विश्व कप के फाइनल में सामना दक्षिण अफ्रीका से हुआ। दोनों ही टीमों ने अब तक कभी विश्व कप का खिताब अपने नाम नहीं किया था, लेकिन हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली टीम ने इस तिलिस्म को आखिरकार तोड़ दिया। इसी के साथ ही रविवार को महिला क्रिकेट को नया विश्व चैंपियन मिल गया है। दोनों टीमों के लिए यह सफर आसान नहीं रहा, लेकिन भारत के लिए खिताब जीतना काफी खास है क्योंकि एक समय टीम लगातार तीन मैच हार चुकी थी और उसके लिए सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई भी करना मुश्किल हो गया था। अब टीम ने मजबूत वापसी की और चैंपियन बनने में सफल रही।

लगातार दो जीत के बाद हारे तीन मैच
भारत ने महिला विश्व कप में अपने अभियान की शुरुआत सह मेजबान श्रीलंका को बारिश से बाधित मुकाबले में 59 रनों से हराकर की। इसके बाद उसने अगले मैच में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 88 रनों से हराया। लगातार दो जीत के बाद भारतीय अभियान को उस वक्त झटका लगा जब उसने हार की हैट्रिक लगाई और उस वक्त लगा कि कहीं भारत का सफर ग्रुप चरण में ही ना थम जाए। भारत को पहले इसी दक्षिण अफ्रीका टीम के खिलाफ तीन विकेट से हार मिली जिसके खिलाफ उसने रविवार को फाइनल खेला। फिर टीम को ऑस्ट्रेलिया ने तीन विकेट से और इंग्लैंड ने चार रन हराया। भारत के लिए अब न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच जीतना बहुत अहम था। दोनों ही टीमों के लिए यह मैच वर्चुअल नॉकआउट की तरह था, लेकिन भारतीय टीम ने स्मृति मंधाना और प्रतिका रावल की शानदार पारियों से न्यूजीलैंड के सामने विशाल लक्ष्य रखा और बारिश से बाधित मुकाबले में डीएलएस के जरिये 53 रनों से जीत दर्ज कर सेमीफाइनल में जगह बनाई। भारतीय टीम का ग्रुप चरण का अगला मैच बांग्लादेश से था, लेकिन बारिश के कारण ये मुकाबला धुल गया।

ग्रुप चरण में चौथे स्थान पर रही भारतीय टीम
ग्रुप चरण में प्रदर्शन की बात करें तो भारत के लिए मिली-जुली स्थिति रही थी। भारतीय टीम सात मैचों में तीन जीत, तीन हार और एक बेनतीजा मैच के साथ सात अंक लेकर अंक तालिका में चौथे स्थान पर रहते ही सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रही थी। भारतीय टीम अपना नाम चैंपियन की सूची में दाखिल करने में भी सफल रही। यह पहली बार है जब भारतीय महिला टीम विश्व चैंपियन बनी है।

दो बार चूके मौका, अब पार की आखिरी बाधा
एक तरफ जहां दक्षिण अफ्रीका का यह महिला विश्व कप का पहला फाइनल था, वहीं भारतीय टीम तीसरी बार खिताबी मुकाबले में पहुंची थी। भारतीय टीम इससे पहले मिताली राज की अगुआई में 2005 और 2017 में विश्व कप के फाइनल में पहुंच चुकी थी। साल 2005 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्व कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 98 रन से हराया था, जबकि 2017 में इंग्लैंड ने घरेलू सरजमीं पर रोमांचक फाइनल में भारत पर नौ रन से जीत दर्ज की की थी। भारतीय टीम दो बार खिताब के करीब आकर इससे चूक गई थी, लेकिन अब वह आखिरी बाधा पार करने में सफल रही है।

आसान नहीं थी राह
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच वनडे मैचों में भारत का पलड़ा भारी था, लेकिन विश्व कप में मुकाबला बराबरी का था। फाइनल से पहले वनडे विश्व कप के छह मैचों में भारत के नाम तीन जीत थे, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने पिछले तीनों मैच में भारत को शिकस्त दी थी। दक्षिण अफ्रीका इकलौती ऐसी टीम थी जिसे भारत ने 2017 से इस वैश्विक आयोजन में नहीं हराया था। पर भारतीय टीम ने इस तिलिस्म को भी तोड़ा।

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