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हाथरस में धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर पर दर्ज हुई FIR

भीम आर्मी/आजाद समाज पार्टी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद और 400-500 अज्ञातों के खिलाफ महामारी एक्ट और आईपीसी की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। उनपर हाथरस में सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन का आरोप है।

मालूम हो कि रविवार को चंद्रशेखर हाथरस कांड में मृतक युवती के परिजनों से मिलने के लिए उनके घर गए थे। इस दौरान बड़ी संख्या में समर्थन भी उनके साथ थे। पुलिस प्रशासन से भी नोंकझोंक हुई थी।

चंद्रशेखर ने कहा था कि चंदपा कांड में सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है। हाथरस के जिलाधिकारी की कार्यशैली ऐसी है कि वे आने वाले समय में बिटिया के परिवार को ही आरोपी बना सकते हैं। उन्हें सीबीआई जांच पर कतई भरोसा नहीं है। इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त दो जजों की निगरानी में जांच होनी चाहिए

उन्होंने परिवार की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि या तो परिवार को वाई श्रेणी सुरक्षा मिले, वरना विधानसभा घेरी जाएगी और मुख्यमंत्री को चैन से सोने नहीं दिया जाएगा।

रविवार को चंदपा में बिटिया के घर पहुंचे चंद्रशेखर ने यह बातें मीडिया से बातचीत में कहीं थीं। उन्होंने परिवार की सुरक्षा का मुद्दा उछालते हुए कहा कि गांव में परिवार कतई सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें धमकियां मिल रही हैं। उनके घर आने वालों पर पथराव हो रहे हैं।

ऐसे में या तो परिवार को वाई श्रेणी सुरक्षा दी जाए वरना परिवार को वे अपने साथ ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब सिनेस्टार कंगना को सुरक्षा दी जा सकती है तो इस बेटी के परिवार को क्यों नहीं। उन्होंने तल्ख तेवर में कहा कि अगर हमारी सरकार होती तो किसी की ऐसी हिमाकत नहीं हो पाती।

उन्होंने कहा कि भीम आर्मी इस परिवार की यहीं पर सुरक्षा करने को तैयार है। प्रशासन मंजूरी दे तो भीम आर्मी के दस हजार कार्यकर्ता यहां रहेंगे और सुरक्षा करेंगे। उन्होंने एसआईटी व सीबीआई जांच पर कहा कि यह तो चलती रहती हैं। डीएम जैसे अफसर ही हर जांच टीम का हिस्सा होंगे।

किसी दिन खबर मिलेगी कि परिवार को ही आरोपी बना दिया। इसलिए परिवार की मांग के अनुसार हमारी भी वही मांग है कि किसी अनुसूचित, अल्पसंख्यक वर्ग के सेवानिवृत्त जज से जांच कराई जाए। उन्होंने सरकार पर सवाल उछालते हुए कहा कि आज बेटी के घर आने वालों को रोकने के लिए जितनी पुलिस लगाई है, अगर इतनी पुलिस बेटियों की सुरक्षा पर लगे तो ये घटनाएं क्यों हों।

मगर पुलिस तो अपराधियों की सुरक्षा में लगी है। इसी कांड के बाद हर दो किमी पर अपराधियों के समर्थन में पंचायतें हो रहीं हैं। उन्हें नहीं रोका जा रहा। उन्हें सुरक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि मैं खुद यहां आया हूं, मेरी सुरक्षा का नोटिस प्रशासन व मीडिया के पास है।

अंत में एक बार फिर उन्होंने परिवार को साथ ले जाने की बात दोहराई और उनकी इस बात में बेटी के पिता व भाई ने भी यह कहते हुए समर्थन दिया कि वे गांव से जाने को तैयार हैं। यहां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे।

 

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