हाईकोर्ट ने 68500 सहायक शिक्षक भर्ती के दोषियों पर कार्रवाई न होने से सरकार को फटकारा

प्रदेश में 68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती में कापियां बदलने के मामले की धीमी जांच पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि तीन हफ्ते बीतने के बाद भी सरकार दोषियों का पता नहीं लगा सकी है। कोर्ट ने 27 सितंबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। ऐसा न होने पर जांच समिति के चेयरमैन को हाजिर होने का निर्देश दिया गया है।

न्यायमूर्ति इरशाद अली की बेंच ने मंगलवार को सोनिका देवी की याचिका पर सुनवाई की।

याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि याची की आंसर शीट के पहले पेज पर अंकित बार कोड अंदर के पेजों से मेल नहीं खा रहा है। कोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा भी था कि याची की आंसर शीट बदल दी गई है। इस पर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने याची के अलावा अन्य अभ्यर्थियों की भी आंसर शीट्स में बदलाव की बात स्वीकारते हुए आवश्यक जांच करने व दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा कोर्ट को दिया था। कोर्ट ने महाधिवक्ता के आश्वासन पर जांच में हुई प्रगति व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ब्योरा तलब किया था।

मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि एक्जामिनेशन रेग्युलेटरी अथॉरिटी की सचिव सुक्ता सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है और इस मामले की जांच के लिए आठ सितंबर को तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। कोर्ट ने अभ्यर्थियों की आंसर शीट्स बदलने वालों पर कार्रवाई की जानकारी मांगी तो सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं के पास कोई जवाब नहीं था।

इस पर कोर्ट ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि लगभग तीन सप्ताह बीत जाने के बावजूद उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ करने वालों का पता नहीं चल सका है। कोर्ट ने कहा कि 27 सितंबर को प्रगति रिपोर्ट न पेश किए जाने पर जांच कमेटी के चेयरमैन को हाजिर किया जाए।

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