आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चौथे केस में सबसे बड़ी और सबसे कड़ी सजा मिली है. इस फैसले से आरजेडी में मायूसी छाई है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्याक्ष शिवानंद तिवारी ने आजतक से कहा कि वह तो आजीवन कारावास का भी सजा दे सकते थे. उन्हीं की मर्जी पर है, उन्हें जिस दफा में यह सजा दी गई है, हमको नहीं मालूम है कि उसमें अधिकतम सजा कितनी दी जा सकती है. उन्होंने कृपा किया है कि 7 साल रखा है. पहले यही जज साहब थे जिन्होंने साढे 3 साल का सजा दिया है, 3 साल का देते तो बेल मिल जाता.
उन्होंने कहा कि उसमें दूसरे अभियुक्त थे जगदीश शर्मा, उनको 7 साल का दिया और इस मामले में जगदीश शर्मा को बरी कर दिया और लालू को 7 का सजा दे दिया. जो मर्जी आ रहा है न्यायिक व्यवस्था यही कर रही है. हमारे यहां लालू यादव का केस टिपिकल केस है. हमारी जो न्याय व्यवस्था है, न्याय प्रणाली है उसके चेहरे को भी यह उजागर करती है. अब लालू यादव को जो सजा मिल रही है, एक के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा, यह कॉन्सपिरेसी के आरोप में जो अवैध निकासी ट्रेजरी से हुई, वह उस अवैध निकासी के लिए साजिशकर्ता के रूप में लालू यादव को सजा हो रही है.
शिवानंद तिवारी ने कोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल
अब हमारे संविधान का अनुच्छेद 20 का 2 कहता है कि किसी को भी एक अपराध के लिए दो बार दंडित नहीं किया जा सकता. लालू यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में मान लीजिए ट्रेजरी से पैसा निकालने के लिए साजिश किया, तो एक लार्जर साजिश हुई, जिसके तहत अलग-अलग तरीकों से अवैध निकासी हुई. ऐसे में सजा भी एक ही होनी चाहिए. रांची हाई कोर्ट ने भी संविधान के धारा 20 के अनुसार कहा था कि साहब हमारा जो संविधान कह रहा है FIR में जितना साजिशकर्ता के रूप में लालू जी अभियुक्त हैं उन सबको एक माना जाए, लेकिन यह मामला सीबीआई सुप्रीम कोर्ट लेकर चली गई और वहां अरुण मिश्रा का जो बेंच है उसने कहा कि नहीं साहब अलग-अलग सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट कर रहा अन्याय
शिवानंद तिवारी ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम नहीं जानते हैं कि आगे इस मामले में क्या होगा. हम सिर्फ इतना जानते हैं कि लालू यादव के साथ न्याय देने वाली संस्था सुप्रीम कोर्ट न्याय नहीं करके अन्याय कर रहा है. अरुण मिश्रा का जो बेंच है उसने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि हम लोग बार-बार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में रिजर्वेशन की मांग कर रहे हैं. लालू यादव सामाजिक और न्याय के योद्धा रहे हैं. इन्होंने सामाजिक न्याय की राजनीति को बदला इसलिए इनसे बदला लिया जा रहा है.
2019 में देंगे मुंहतोड़ जवाब
तिवारी ने कहा कि हम लोग यह मानकर चल रहे हैं कि इसमें इंसाफ की उम्मीद बहुत ही कम है, लेकिन लोग जान लें, लालू यादव मिटने वाले नहीं हैं. यह बात अभी के उपचुनाव में साबित हो चुका है और अगला जो 19 का चुनाव होना है, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि 2019 के चुनाव में जनता की ताकत के सहारे हम लोग मुंहतोड़ जवाब देंगे. बिहार और यूपी से नरेंद्र मोदी की सरकार में भ्रष्टाचार के जो एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं उन पर कोई जांच करने वाला नहीं है. मानकर चला जा रहा है कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचारी लालू यादव हैं, लालू को फांसी पर लटका दो, पूरे देश में सदाचार की गंगा बहने लगेगी.
दलितों पर कसा जा रहा शिकंजा
आरजेडी में लालू यादव की कमी खल रही है, शिवानंद तिवारी ने कहा कि पार्टी का नेता जेल में है और अभी फिर 7 साल की सजा हुई है तो कमी तो होगी ही. निश्चित रूप से तकलीफ है, पार्टी का एक-एक व्यक्ति और पार्टी का ही नहीं, बिहार के लोग जो गरीब तबके के लोग हैं, पिछड़े, अति पिछड़े हैं, दलित हैं, सब के सब लोग दुखी हैं. सब यह मान रहे हैं कि लालू यादव के साथ नाइंसाफी हो रही है. जब पिछड़े दलित राजनीति में ऊपर आ रहे हैं तो सारा शिकंजा इन लोगों पर कसा जा रहा है.
लालू को मिलेगा न्याय
खुद अटल बिहारी बाजपेई ने कहा है कि बिहार में एक-एक चीफ मिनिस्टर ऐसे हुए हैं जो बिना दो लाख, पांच लाख के मुंह नहीं धोते थे. वह लोग तो ऐसे ही निकल गए. जहां होना चाहिए था उनको वहां नहीं हैं. उनको कभी का खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन आज जब दलित और पिछड़े आए हैं तो भ्रष्टाचार विरोधी जितना भी बुलडोजर है सब इन्हीं लोगों पर चलाया जा रहा है. बाकी लोग तो पास कर गए अभी भी देखिए. हांलाकि शिवानंद तिवारी को भरोसा है कि उन्हें न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि हमको ऐसा लग रहा है कि देर-सवेर लालू यादव को इंसाफ मिलेगा. हमारा पूर्ण विश्वास है देर-सवेर लालू जी को निश्चित रूप से न्याय मिलेगा. यह अन्याय और नाइंसाफी बहुत दिन तक चलने वाला नहीं है.