महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के भीतर मतभेद एक बार फिर खुलकर सामने आ गए हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने विधान परिषद में घोषणा की थी कि सरकार राज्य में 5% मुस्लिम आरक्षण के लिए कानून लाएगी, लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को यह कहते हुए इस मुद्दे विराम लगा दिया कि सरकार के सामने अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुस्लिमों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अभी तक मेरे पास आधिकारिक तौर पर नहीं आया है.
इस मसले को लेकर हमने अभी कोई फैसला नहीं किया है. जब इस मसले पर वास्तव में कोई फैसला लिया जाएगा, उस समय के लिए विपक्ष अपनी ऊर्जा बचाकर रखे.
विधानसभा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NPR) के खिलाफ प्रस्ताव पास करने के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘हम इस लेकर एक कमेटी बनाएंगे जिसमें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेता शामिल होंगे जो एनपीआर से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा करेंगे.’
सूत्रों की मानें तो मुसलमानों के लिए नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण शिवसेना के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के एजेंडे में था.
सूत्रों ने दावा था किया कि उद्धव कैबिनेट की पिछली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई. कैबिनेट की मीटिंग में इस पर विस्तार से चर्चा की गई कि इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
गौरतलब है कि साल 2014 से पहले जब सूबे में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, तब मराठा के लिए 16 और मुसलमानों के लिए 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान ऑर्डिनेंस लाकर किया गया था. चुनाव हुए, तब भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन की सरकार सत्ता में आ गई.
नई सरकार ने मराठा आरक्षण बरकरार रखा, लेकिन मुसलमानों के लिए आरक्षण पर कोई कदम नहीं उठाया. यह अध्यादेश लैप्स हो गया था.
तब भाजपा के साथ शिवसेना सत्ता में साझीदार थी, जब मुस्लिम आरक्षण के लिए अध्यादेश लैप्स हो गया था. हालांकि इसके बाद शिवसेना ने पिछले दिनों कई बार मुस्लिम आरक्षण का राग अलापा था.