केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। गौरतलब है कि किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की।
तोमर ने भरोसा देते हुए कहा कि बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है। किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं।तोमर ने आगे कहा कि अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्य तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार से आए थे और उन्होंने कृषि बिल का समर्थन किया एवं एक पत्र सौंपा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ऐसा किया है और वे इसका स्वागत और समर्थन करते हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं। इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं।
केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई पांच दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। सरकार ने किसान संघों को एक मसौदा प्रस्ताव उनके विचारार्थ भेजा है जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को जारी रखने का लिखित आश्वासन भी है, लेकिन किसान यूनियनों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और कानूनों को निरस्त करने की मांग की है।
तोमर ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की और गतिरोध समाप्त करने के तरीके पर चर्चा की। बाद में उन्होंने ऑल इंडिया किसान समन्वय समिति (एआईकेसीसी) नीत किसानों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जिसने किसान कानूनों को समर्थन दिया है। पिछले दो सप्ताह में कानूनों को समर्थन देने वाला यह चौथा समूह है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने सोमवार को कहा कि सुधारों से जुड़े कदम राष्ट्रीय स्तर पर सहमति बनाकर उठाए जाने चाहिए तथा मौजूदा समय में चल रहे किसानों के आंदोलन के मामले में सरकार को बातचीत के जरिए हल निकालना चाहिए।
उद्योग चैंबर ‘फिक्की’ की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करने दौरान शर्मा ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि वह कोरोना महामारी के कारण के कारण प्रभावित हुए तबकों को आर्थिक मदद देने में सरकार अधिक उदार रुख दिखाए तथा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन पैकेज की व्यवस्था करे।
कांग्रेस नेता के अनुसार, देश को जीडीपी के 10 फीसदी का नुकसान हुआ है और 2019-20 की स्थिति तक आने में उसे एक साल का समय और लगेगा। उन्होंने कहा कि हम आज देख रहे हैं कि कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।
सुधार भागीदारी के आधार पर होने चाहिए, एकतरफा नहीं होना चाहिए। इस संदर्भ में विचार-विमर्श होना चाहिए। कुछ भी जल्दबाजी में औेर सहमति के बिना नहीं होना चाहिए। ऐसा करने का नतीजा हम देख रहे हैं। आंदोलन हो रहे हैं, टकराव है और विश्वास का अभाव है।
शर्मा ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि संवाद और चर्चा के माध्यम से हर चीज का समाधान हो सकता है। इस प्रक्रिया में मुख्यमंत्रियों को भी शामिल किया जाना चाहिए और एक राष्ट्र के तौर पर एक होकर संकट को खत्म करना चाहिए।