दिल्ली और आसपास के शहर कैसे गैस चैम्बर बन गए हैं, इसका सबूत है कि दिल्ली-एनसीआर के 73% घरों में अब 1 या ज्यादा व्यक्ति प्रदूषण से जुड़ी दिक्कतों से पीड़ित हैं, जैसे कि खांसी,सर्दी, गले में खराश, सिरदर्द, आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई आदि. इस क्षेत्र में राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा 85% घर हैं जहां एक या उससे अधिक व्यक्तियों को प्रदूषण वाली बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गुरुग्राम का नंबर आता है.
दिल्ली में एक महीने से भी कम वक्त में स्थिति बद से बदतर हो गई. ‘लोकल सर्किल्स’ ने 15 अक्टूबर 2020 को एक सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर कहा था कि दिल्ली में 65% घरों में एक या एक से अधिक व्यक्ति हैं जिन्होंने प्रदूषण से संबंधित दिक्कतों की शिकायत की है. अब ये आंकड़ा बढ़कर 85% हो गया है.
लोकल सर्किल्स ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण-संबंधी स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों का सामना करने के लिए घरों के कुल प्रतिशत का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया. सर्वे में ये समझने की कोशिश की गई कि प्रदूषण और कोविड-19 से संक्रमित होने के दोहरे खतरे के बीच लोगों की दिवाली के त्योहार के दौरान बाजारों में खरीदारी और आपस में मिलने जुलने को लेकर क्या सोच है. भारत में त्योहारों को पारंपरिक उल्लास और भक्ति भावना के साथ मनाया जाता है, सर्वे में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद के निवासियों से 35,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं.
लोगों से पहला सवाल पूछा गया, “पिछले 6 हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता 1,000% तक खराब हो गई है और अब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)अब 500-700 रेंज में है, आप और आपके परिवार का क्या अनुभव है?”
इस पर दिल्ली से 5,965, गुरुग्राम से 1,544, नोएडा से 1,514, गाजियाबाद से 1,357 और फरीदाबाद से 1,441 रिस्पॉन्स आए. इनमें दिल्ली में 85%, गुरुग्राम में 62%, नोएडा में 68%, गाजियाबाद में 43%, और फरीदाबाद में 66% लोगों ने कहा कि उनके घरों में 1 या उससे ज्यादा लोग प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं. सिर्फ दिल्ली में 13% परिवार, गुरुग्राम में 13%, नोएडा में 19%, गाजियाबाद में 19% और फरीदाबाद में 17% लोगों ने कहा कि उनके परिवार के किसी भी सदस्य को ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है.
सर्वेक्षण में दूसरे प्रश्न में दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों से जानने की कोशिश की गई कि क्या वे दिवाली के दौरान सोशलाइजिंग की सोच रहे हैं. दिल्ली और एनसीआर के लोग आमतौर पर अपने दोस्तों और विस्तारित परिवार से दिवाली के दिनों में मिलते हैं और मिठाइयों आदि का आदान प्रदान करते हैं. इस दौरान दिवाली पार्टियां का भी आयोजन होता है. नागरिकों को इस प्रश्न के साथ आगाह भी किया गया कि दिल्ली-एनसीआर में 500-700 रेंज में AQI और हर दिन कोरोना के 7,000 केस सामने आ रहे हैं.
दिल्ली से 5,908 रिस्पॉन्स, गुरुग्राम से 1,364 , नोएडा से 1,449, गाजियाबाद से 2,650, और फरीदाबाद से 1,318 मिले. जिनमें से दिल्ली से केवल 22% प्रतिभागियों, गुरुग्राम से 20%, नोएडा से 25%, गाजियाबाद से 22%, और फरीदाबाद से 50% ने कहा कि इस दीवाली पर वो सोशलाइजिंग करेंगे.
अगर पूरे दिल्ली-एनसीआर की बात की जाए तो ये आंकड़ा करीब 25 फीसदी बैठता है. बहुमत का कहना है कि वो इस दिवाली पर सोशल विजिट्स कम से कम रखेंगे, बस घर पर रहेंगे, इस अवसर को करीबी परिवार के साथ मनाएंगे और यात्रा नहीं करेंगे, न ही कोई बड़ी गैदरिंग करेंगे.
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देश भर में “खराब” या बदतर हवा की गुणवत्ता वाले शहरों में 7 से 30 नवंबर के बीच सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसका मकसद त्योहारी सीजन में प्रदूषण के स्तर को कम रखना है.
दिवाली से पहले खरीदारी के प्लान पर दिल्ली से 5,560, गुरुग्राम से 1,411, नोएडा से 1,639, गाजियाबाद से 1,273, और फरीदाबाद से 1,314 रिस्पॉन्स प्राप्त हुए. इनमें से दिल्ली में 29%, गुरुग्राम में 43%, नोएडा में 22%, गाजियाबाद में 44% और फरीदाबाद में 66% लोगों ने “दिवाली की खरीदारी के लिए बाजारों और माल्स में जाने की बात कही है.
दिल्ली में हर दिन आने वाले कोविड-19 केसों की संख्या बढ़ रही है. इसके साथ ही सर्दी की दस्तक के बाद शहर के कई इलाकों में AQI 900 के पार चला गया है, जिससे हवा में घुले जहर से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना है. वायु में मौजूद प्रदूषकों (PM2.5, PM10 और अन्य हानिकारक गैसों) के स्तर के AQI की गणना की जाती है. 310-400 या इससे से ऊपर के AQI को सभी के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है. ऐसे में त्योहारी सीजन में लापरवाही बरतना खुद ही बड़ी परेशानी को न्योता देने जैसा होगा.