प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामकृष्ण मिशन की मासिक पत्रिका ‘‘प्रबुद्ध भारत” के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत को प्रबुद्ध और जागृत बनाना चाहते थे। उनके अंदर गरीबों के प्रति सहानुभूति थी। वे मानते थे कि गरीबी सारी समस्या की जड़ है, इसलिए गरीबी को राष्ट्र से खत्म करना होगा। इस समारोह का आयोजन मायावटी स्थित अद्वैत आश्रम कर रहा है।
‘‘प्रबुद्ध भारत” पत्रिका भारत के प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान के संदेश को प्रसारित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है। इसका प्रकाशन चेन्नई से शुरू किया गया था जहां से दो साल तक इसका प्रकाशन होता रहा। बाद में इस पत्रिका उत्तराखंड के अल्मोड़ा से प्रकाशित किया जाने लगा। अप्रैल 1899 में पत्रिका के प्रकाशन का स्थान अद्वैत आश्रम में स्थानांतरित कर दिया गया और तब से वहीं से इस पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है।
भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, दर्शन, इतिहास, मनोविज्ञान, कला और अन्य सामाजिक मुद्दों पर कई महान हस्तियों ने अपने लेखन के माध्यम से ‘‘प्रबुद्ध भारत” के पन्नों पर अपनी छाप छोड़ी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, भगिनी निवेदिता, श्री अरबिंदो, पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे लेखकों ने कई वर्षों तक पत्रिका में योगदान दिया।