
एक उम्र के बाद लोगों के लिए गाड़ी चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि 60-65 वर्ष के बाद अक्सर स्वास्थ्य शरीर का साथ नहीं देता। स्वचालित कारें बुजुर्गों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं और इससे दुर्घटनाओं का खतरा भी कम किया जा सकता है। आम कारों में जहां पूरी गाड़ी पर ड्राइवर का नियंत्रण रहता है स्वचालित कारों में ड्राइवर को पूरी तरह से छुट्टी दी जा सकेगी। इन कारों से यात्रा करने वाले यात्री पिछली सीटों पर बैठकर फिल्म देखने के साथ-साथ खा-पी भी सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन कारों के ऑटोमेशन के शून्य से पांच तक के स्तर होते हैं, लेकिन अभी कुछ स्थितियां ऐसी भी हैं जहां कार चालक को नियंत्रण रखना पड़ सकता है और कुछ देर बाद कार फिर स्वचालित मोड पर आ जाएंगी।
76 चालकों की ड्राइविंग का अध्ययन किया। इन चालकों को दो आयु समूहों (20-35 और 60-81) में विभाजित कर यह देखा गया है कि बुजुर्ग चालक स्वचालित कार का नियंत्रण वापस लेने में कितना समय ले रहे हैं। यह भी जांच की गई कि विभिन्न स्थितियों में उनके ड्राइविंग की गुणवत्ता कैसी है। सभी चालकों की ड्राइविंग का स्तर अच्छा था। लेकिन युवाओं के मुकाबले बुजुर्ग चालक स्वचालित कार का नियंत्रण वापस लेने में ज्यादा समय लिया।
ली ने कहा कि कार का नियंत्रण वापस लेने के लिए जहां बुजुर्गों को 8.3 सेकेंड का समय लगा वहीं कम उम्र के समूह ने 7 सेकेंड में अपना टास्क पूरा किया। बुजुर्ग ड्राइवरों ने एक्सेलेरेटर और ब्रेक के संचालन के मामले में बहुत खराब प्रर्दशन किया, जिससे दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। स्वचालित कारें बुजुर्गों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। इससे न सिर्फ वह दुर्घटना के जोखिम से बचेंगे बल्कि स्तरीय जीवन भी जी सकते हैं। स्वचालित कारों को खराब मौसम में चलाने से बचना चाहिए।
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