अमेठी. वीवीआईपी ज़िले अमेठी के तिलोई में 60 करोड़ 52 लाख की कीमत से बनने वाले 200 बेडो वाले जिस हास्पिटल के निर्माण का क्रेडिट केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने लिया है उसमें व्यापक पैमाने पर भ्रष्ट्राचार व्याप्त हो चुका है। लेकिन शासन से लेकर प्रशासन मूकदर्शक बना है। यही नही केंद्रीय मंत्री ने हास्पिटल के लिए जबरन कुछ किसानों की अधिग्रहित की गई ज़मीन के एवज़ ज़मीन मुहैया कराने का जो निर्देश दिया था, प्रशासन ने उसे भी ठेंगा दिखा दिया है।
आगे पढ़े क्या है पूरा मामला
सनद रहे कि अमेठी ज़िले के तिलोई विधानसभा में आए दिन मरीजों की समस्या को देखते हुए यहां के सांसद राहुल गांधी ने 200 बेडो का अस्पताल तैयार कराने की पहल यूपीए 2 में ही कर दिया था। निर्माण के लिए सरकार ने कार्यदायी संस्था अनुराग इन्टर्प्राइजेज़ गाजियाबद को 60 करोड़ 52 लाख रुपए भी स्वीकृति कर दिए थे।पीली ईंटों, बालू से होता निर्माण
हाल ही में 8 अप्रैल 2017 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 200 बेडो वाले इस हास्पिटल का निरीक्षण भी किया था। जहां मंत्री ने इसे मोदी सरकार की उपलब्धि बताया था। लेकिन इस वक़्त अस्पताल के निर्माण का आलम ये है कि खड़ी हो रही इमारत में जहां पीली ईंटों का उपयोग हो रहा है, वहीं इन दीवारों की चुनाई में नहर की बालूओ का धड़ल्ले से इस्तेमाल। जबकि स्लेप में गिट्टी के साथ डेस्क का प्रयोग। बताया जा रहा है प्रोजेक्ट मैनेजर द्वारा बरती जा रही इस अनिमियताओं को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन से शिकायत भी किया लेकिन अधिकारियों को इस ओर देखने की फुर्सत नही मिली।
इसी कड़ी में बता दें कि उक्त हास्पिटल का निर्माण जिस ज़मीन पर किया जा रहा है उसमें कई एक किसानों की ज़मीने जबरन ऐक्वायर कर ली गई है। केंद्रीय मंत्री 8 अप्रैल को जब यहां निरीक्षण को पहुंची थी उस समय पूरे मोती खाँ निवासी श्याम सुंदर ने इसकी शिकायत भी किया था। जिस पर केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए तत्काल किसानों को ज़मीन मुहैया कराकर निर्माण कार्य कराए जाने का निर्देश दिया था।
डीएम ने निरीक्षण कर दिया था एसडीएम को निर्देश
मंत्री के निर्देश के बाद 11 अप्रैल को अमेठी के डीएम योगेश कुमार ने खुद स्थलीय निरीक्षण किया था। उन्होंने उस समय एसडीएम तिलोई अशोक कुमार शुक्ला को आदेश भी दिया था के जल्द से जल्द किसानों के कागजों का अवलोकन करके उन्हें ज़मीन उपलब्ध कराए। लेकिन रात गई और बात गई कि तर्ज़ पर मातहत अधिकारियों ने मंत्री से लेकर डीएम तक के आदेशों को सुनकर हवा में उड़ा दिया। जिससे किसान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।