सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली की आप सरकार से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित करने के केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा।चीफ जस्टिस ने कहा कि फिलहाल नौ जजों की पीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई जारी है और वह इस अनुरोध पर विचार करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली की आप सरकार से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित करने के केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
आप सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से आग्रह किया कि पूरा प्रशासन ठप हो गया है और मामले की सुनवाई किए जाने की जरूरत है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि फिलहाल नौ जजों की पीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई जारी है और वह इस अनुरोध पर विचार करेंगे।
नौ जजों की पीठ कर रही है मामले की सुनवाई
वर्तमान में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ यह जटिल कानूनी सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत ‘समुदाय के भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है जोकि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है।
इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने केंद्र के पिछले साल 19 मई के उस अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जिसने निर्वाचित व्यवस्था से सेवाओं पर नियंत्रण छीन लिया था। इसके कारण सत्ता के दो केंद्रों के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया था। बाद में इस मामले पर अध्यादेश को केंद्रीय कानून में बदल दिया गया।