सुरेश रैना के दोस्त ने खोले उनकी जिंदगी से जुड़े कई राज, कहा- वो कप्तान की डांट भी सुन लेता था

 चेन्नई के चिन्ना थाला सुरेश रैना की आइपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के वर्तमान कप्तान और टीम इंडिया में उनके कप्तान रहे महेंद्र सिंह धौनी से दोस्ती बारे में सबको पता है लेकिन उत्तर प्रदेश के सोनू (रैना) की दोस्ती उनके घरेलू क्रिकेट के कप्तान रहे ज्ञानेंद्र पांडे से भी उतनी ही तगड़ी है।

उत्तर प्रदेश में सोनू के नाम से मशहूर रैना घरेलू क्रिकेट उप्र रणजी टीम से खेलते थे। इसमें उनके फेवरिट कप्तान रहे ज्ञानेंद्र पांडे। दो वनडे और 117 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले ज्ञानेंद्र ने कहा कि रैना से पहली मुलाकात मेरे भतीजे दीपेंद्र के जरिये हुई थी। रैना मेरे भतीजे के साथ खेलते थे। वह लखनऊ में मेरे घर आए थे। वह मेरा नाइट मैच भी देखने आए।

उन्होंने रणजी ट्रॉफी में गुवाहाटी में पहला मैच मेरी कप्तानी में खेला। उस मैच में रैना ने 47 रन बनाए थे और 18 ओवर गेंदबाजी भी की थी। मेरी और उनकी कई यादगार साझेदारियां हुई। मुंबई के खिलाफ उसने 49 बनाए और मैंने 55 रन की पारी खेली। एक मैच मुझे याद है। आंध्र प्रदेश के खिलाफ रणजी मैच में रैना ने 100 बनाया तो मैं 99 रन पर आउट हो गया। मैं बहुत खुश था और वह दुखी था।

मैंने कहा कि भाई मेरा शतक पूरा नहीं होने पर दुखी मत हो, अपने शतक पर खुश हो। शुरुआत में हम लंदन में तीन-चार महीने साथ रहते थे, वहां पर एक लीग में खेलते थे। जब मैं उप्र का कोच बना तो रैना कप्तान था। वह उत्तर प्रदेश का सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी था। उसे एक या दो साल और खेलना चाहिए था। उसमें काफी क्रिकेट बचा है। हाल ही में वह लखनऊ आया था तब भी उसने संन्यास के बारे में कुछ नहीं बताया था। उसने संन्यास लिया इसका दुख है लेकिन यह उसका फैसला है और हम उसके फैसले का सम्मान करते हैं।

ज्ञानेंद्र ने कहा कि रैना की एक अच्छी आदत है कि वह हमेशा कप्तान की सुनता था। वह डांट भी सुन लेता था। हम जब लंदन में वहां काउंट के मैच खेलने जाते थे तो एक साथ अपार्टमेंट में रहते थे। मैं टमाटर काटता था तो वह प्याज छील देता था। इसके बाद तहरी (पुलाव) बन जाती थी। हमारी दोस्ती भी तहरी की तरह है।

 

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