सुप्रीम कोर्ट से ट्रंप को राहत, फंडिंग पर रोक का फैसला बरकरार रखा

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को राहत मिली है। अदालत ने ट्रंप प्रशासन को लगभग 5 अरब डॉलर की विदेशी सहायता पर रोक लगाने के आदेश को आगे बढ़ा दिया है। यह कदम राष्ट्रपति पद के अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद में ट्रंप को एक और बड़ी जीत दिलाता है।

अदालत के रूढ़िवादी बहुमत ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) को कांग्रेस द्वारा स्वीकृत अरबों डॉलर की सहायता से जुड़े एक मामले में रिपब्लिकन प्रशासन की आपातकालीन अपील को स्वीकार कर लिया। हालांकि, तीन उदारवादी न्यायाधीशों ने इसका विरोध किया। ट्रंप ने पिछले महीने कहा था कि वह यह पैसा खर्च नहीं करेंगे। उन्होंने करीब 50 साल पहले इस्तेमाल की गई विवादित सांविधानिक शक्ति का हवाला दिया।

निचली अदालत ने ट्रंप के फैसले को अवैध करार दिया था
अमेरिकी जिला न्यायाधीश आमिर अली ने ट्रंप के फैसले को अवैध करार दिया था और कहा था कि फंडिंग रोकने के लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी है। इस न्याय विभाग ने उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की। हालांकि, वाशिंगटन स्थित संघीय अपील अदालत ने भी न्यायाधीश अली के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने 9 सितंबर को आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी, जिसे अब पूर्ण न्यायालय ने अनिश्चितकाल तक बढ़ा दिया है।

पहली भी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप को दी है राहत
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप को राहत दी है। पहले भी कोर्ट ने आपातकालीन अपीलों पर ही प्रवासियों की सुरक्षा खत्म करने, हजारों संघीय कर्मचारियों को हटाने, ट्रांसजेंडर सैनिकों को सेना से निकालने और स्वतंत्र सरकारी एजेंसियों के प्रमुखों को हटाने की अनुमति दी थी। हालांकि ये सभी कानूनी जीतें अंतिम फैसला नहीं हैं।

ट्रंप ने हाउस स्पीकर को पत्र लिख कहा था- वह पैसा खर्च नहीं करेंगे
राष्ट्रपति ट्रंप ने 28 अगस्त को हाउस स्पीकर माइक जॉनसन को पत्र लिखकर कहा था कि वह 4.9 अरब डॉलर की कांग्रेस से मंजूर विदेशी मदद खर्च नहीं करेंगे। इसके लिए उन्होंने ‘पॉकेट रिसीशन’ (अधिनियम रद्दीकरण) नाम की दुर्लभ प्रक्रिया अपनाई। इसके तहत राष्ट्रपति बजट वर्ष के आखिर में कांग्रेस से अनुरोध कर सकता है कि स्वीकृत पैसा खर्च न किया जाए। लेकिन बजट वर्ष खत्म होने से पहले 45 दिन की मंजूरी की अवधि पूरी नहीं होती, जिससे व्हाइट हाउस का दावा है कि पैसे खर्च न करने का अधिकार मिल जाता है।

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