उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में अनुसूचित जाति की युवती की हत्या मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के वर्तमान अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) या विशेष जांच दल (SIT) से कराने की मांग संबंधी जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत मंगलवार को सुनवाई करेगी।

सामाजिक कार्यकर्ता सत्यमा दुबे और अधिवक्ता विशाल ठाकरे व रुद्र प्रताप यादव की ओर से दायर इस याचिका पर प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ सुनवाई करेगी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है।
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर की मांग
इस मामले में पूर्व न्यायिक अधिकारी चंद्रभान सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें संबंधित पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के साथ-साथ उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज किए जाने की मांग भी की गई है। याचिका में मृत युवती के माता-पिता और भाई के बयान अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराने के निर्देश देने की मांग की गई है।
यूपी में लगे राष्ट्रपति शासन
हाथरस मामले में ही शीर्ष अदालत में एक अन्य जनहित याचिका अधिवक्ता सीआर जया सुकिन ने दाखिल की है। इसमें उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई है। इसमें कई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए देश का सबसे असुरक्षित राज्य बन गया है।
वहीं, दूसरी ओर हाथरस कांड पर बढ़ती राजनीतिक हलचल के बीच पुलिस ने उत्तर प्रदेश में जातीय संघर्ष की साजिश को लेकर अपनी जांच का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। माहौल बिगाड़ने की साजिश को लेकर प्रदेश में 19 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने अब तक पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
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