अवमानना मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, कपिल सिब्बल के बाद पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील सोली सोराबजी प्रशांत भूषण के समर्थन में सामने आए हैं. सोली सोराबजी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना के मामले में सजा सुनाने के प्लान को टाल देना चाहिए.
मीडिया से बातचीत में देश के जाने-माने वकीलों में गिने जाने वाले सोली सोराबजी ने कहा कि उन्हें (प्रशांत भूषण) चुप कराने के बजाय न्यायिक भ्रष्टाचार को लेकर अपने आरोप को सबूत के साथ साबित करने की अनुमति देनी चाहिए. सोली सोराबजी ने प्रशांत भूषण का बचाव करते हुए कहा कि शीर्ष कोर्ट को अवमानना के लिए उन्हें दंडित नहीं करना चाहिए, बल्कि आलोचना स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए और वकील को भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने देना चाहिए.
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने प्रशांत भूषण के समर्थन में ट्वीट किया. कपिल सिब्बल ने लिखा, ‘प्रशांत भूषण. अवमानना की शक्ति का प्रयोग लोहार के हथौड़े की तरह किया जा रहा है. जब संविधान और कानूनों की रक्षा करने की आवश्यकता होती है तो न्यायालय असहाय क्यों होते हैं, दोनों के लिए समान तरीके से “अवमानना” दिखाते हैं. बड़े मुद्दे दांव पर लगे हैं. इतिहास हमें खारिज करने के लिए कोर्ट का मूल्यांकन करेगा.’
इसी तरह इंडिया टुडे से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा था कि जो शख्स उच्च पद पर बैठता है, चाहे वह राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री या जज कोई भी हो, वह कुर्सी बैठने के लिए होती है न कि खड़े होने के लिए. प्रशांत भूषण के ट्वीट पर अरुण शौरी का कहना था कि उन्हें हैरानी हो रही है कि 280 कैरेक्टर लोकतंत्र के खंभे को हिला रहे हैं. हमें नहीं लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की छवि इतनी नाजुक है. 280 कैरेक्टर से सुप्रीम कोर्ट अस्थिर नहीं हो जाता. अवमानना के मामले में 25 अगस्त को फैसला सुनाया जाना वाला है.
बता दें कि यह मामला प्रशांत भूषण के एक ट्वीट से जुड़ा हुआ है. इस मामले में 14 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने प्रशांत भूषण को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था. सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि अदालत उन्हें 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी मांगने का समय देती है.