केरल में 30 दलित संगठनों द्वारा बंद का आह्वान किए जाने के बाद सोमवार को राज्य में सामान्य जनजीवन आंदोलन की वजह से प्रभावित हुआ. यह बंद अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अधिनियम को कमजोर बनाने के खिलाफ आहूत किया गया है.
ट्रेड यूनियनों द्वारा देशभर में बुलाए गए बंद के चलते दो अप्रैल को बुलाए भारत बंद में भी राज्य में ऐसे ही बंद का असर देखने को मिला था. सोमवार को हुए केरल बंद में दुकानों, खासकर कन्नूर जिले की दुकानों को बंद रखने के लिए कहा गया.
सरकारी स्वामित्व वाले सड़क परिवहन निगम, निजी बस संचालकों और व्यापार निकाय ने इससे पहले ऐलान किया था कि केरल बंद की वजह से परिवहन और कामकाज पर असर नहीं होगा. लेकिन कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने बसों की आवाजाही रोकने के लिए सड़कें अवरुद्ध कर दी.
बता दें, केरल के कोच्चि में सोमवार को प्रदर्शन कर रहे नेता गीतानंदन और उनके समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया है.
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गीतानंदन ने रिपोर्टर को बताया, ‘राज्यभर से हमें जानकारी मिली है कि विरोध प्रदर्शन सफल होता मालूम पड़ रहा है. हमें हिरासत में लेने का कोई कारण नहीं है.’
दलित आंदोलन बाकि राज्यों की तरह यहां भी हिंसक होता नजर आया. प्रदर्शनकारियों ने कोल्लम में सरकारी बसों पर पत्थर फेंके. हिंसक प्रदर्शन के चलते सड़के जाम हुई. जिन शिक्षकों को जिले में 10वीं कक्षा की परीक्षा की कॉपी के मूल्यांकन के लिए मूल्यांकन कैंप पहुंचना था. वे उस जाम में ही फंसे रह गए.
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महिला शिक्षिकाओं के एक समूह ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि हम समय पर कैंप पहुंच पाएंगे. हमने राज्य सरकार के यातायात जाम नहीं होने और पुलिस द्वारा जाम रोकने के लिए सारे कदम उठाए जाने के आश्वासन के बाद आने का फैसला किया था, लेकिन अब हम यहां फंस गए हैं.’
केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में आईटी पेशेवर टेक्नोपार्क कैंपस तक पहुंचने में सफल रहे. लेकिन आंदोलन के चलते विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बारे में कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह दलित और अनुसूचित जनजाति को संरक्षण प्रदान करने वाले कानून को कमजोर करता है.
गौरतलब है कि देश में दलित आंदोलन थमता नहीं दिख रहा है. दलित आंदोलन में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और दिल्ली जैसे कई राज्यों में अब केरल भी शामिल हो गया है.