कोरोना वायरस को लेकर दुनिया में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। रूस ने कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने तक का दावा कर दिया है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन को लेकर एक कड़ी चेतावनी जारी की है। संगठन का कहना है कि हमारे मानदंडों के अनुसार क्लिनिकल परीक्षण के एडवांस स्टेज पर पहुंची कोई भी वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 50 फीसदी भी असरदार नहीं है।

दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जो कोरोना वैक्सीन को लेकर आखिरी या तीसरे चरण का परीक्षण कर रहे हैं। रूस की स्पूतनिक वी कोरोना के खिलाफ असरदार है, ऐसा रूस का मानना है लेकिन डब्ल्यूएचओ की ओर से आए इस बयान ने कोरोना वैक्सीन को लेकर चिंता पैदा कर दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का यहां तक कहना है कि साल 2021 तक लोगों को कोरोना वैक्सीन की खुराक मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। डब्ल्यूएचओ प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस का कहना है कि विश्व में कई देशों की कोरोना वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षण के स्तर पर हैं। लेकिन इनमें से एक भी वैक्सीन ऐसी नहीं है जिसे प्रभावी बताया जा सके।
हैरिस का कहना है कि 2021 के मध्य तक भी व्यापक टीकाकरण की कोई उम्मीद नहीं है। हैरिस का कहना है कि किसी भी वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में ज्यादा समय लग रहा है क्योंकि हम यह देखना चाहते हैं कि कोई भी वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ कितनी प्रभावी है और वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है।
जार्जिया विश्वविघालय में वैक्सीन और इम्यूनोलॉजी के केंद्र के निदेशक टेड रॉस का ऐसा मानना है कि कोरोना का सबसे पहला टीका उतना प्रभावी न हो। टेड रॉस भी कोरोना वायरस की एक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं जो 2021 में क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में जाएगी। दुनियाभर के लैब्स में 88 वैक्सीन प्री क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में है।
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