पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला इन दिनों संगीनों के साए में है. महज 30 दिनों के अंदर ही यहां सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की दो घटनाओं ने अमूमन शांत रहने वाले इस जिले के सामाजिक ताने-बाने को छलनी कर दिया है. पहले सड़क दूधली गांव में सांप्रदायिक हिंसा की घटना सामने आई, फिर इसके बाद 5 मई को यहां शब्बीरपुर गांव में जातीय हिंसा हुई. इसके बाद दलितों की महापंचायत के नाम पर सहारनपुर में आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव की घटना हुई. सहारनपुर में हुई 9 मई को हुई इस घटना के पीछे भीम आर्मी का नाम सामने आया है.

सहारनपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR में भीम सेना के संस्थापक चंद्रशेखर और भीम सेना के जिलाध्यक्ष समेत संगठन के कई कार्यकर्ताओं का नाम दर्ज किया गया है. आरोप है कि 5 मई को शब्बीरपुर में दलितों के घर की आगजनी के विरोध में भीम आर्मी ने 9 मई को सहारनपुर के रविदास छात्रावास में दलितों की महापंचायत बुलाई थी. इस महापंचायत को प्रशासन की अनुमति नहीं थी, जिसके चलते छात्रावास में पहुंच रहे भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं और उनके दलित समर्थकों को पुलिस ने खदेड़ दिया.
कबीरपुर गांव में हुई हिंसा और सहारनपुर में उसके असर के बाद आजतक टीम भीम आर्मी एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न के पास पहुंची. भीम आर्मी का संस्थापक चंद्रशेखर फरार हैं, लेकिन उसके कुछ नेता और कार्यकर्ता सहारनपुर शहर में अभी भी मौजूद हैं.
आजतक संवाददाता ने जब 9 मई की घटना पर सवाल पूछे तो विनय रत्न ने हिंसा के पीछे भीम आर्मी का हाथ होने से साफ इनकार कर दिया. इतना ही नहीं भीम आर्मी का आरोप है कि पुलिस उसके संस्थापक चंद्रशेखर को मुठभेड़ में मार देना चाहती है. वहीं भीम आर्मी की बुलाई महापंचायत के बारे में विनय से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमने 9 मई को रविदास छात्रावास में महापंचायत बुलाई थी, जिसके लिए SDM को आवेदन दिया गया था’. हालांकि विनय रत्न ने यह भी कबूल किया कि उस महापंचायत के लिए उन्हें प्रशासनिक अनुमति नहीं मिली थी और इस पर सवाल पूछे जाने पर विनय ने 5 मई को शब्बीरपुर में हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर भी यात्रा निकालने और दलितों का घर जलाने के लिए किसी ने प्रशासनिक अनुमति नहीं ली थी. भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न ने कहा कि पुलिस ने छात्रावास में पहुंच रहे उसके कार्यकर्ताओं पर पहले लाठीचार्ज किया और वहां से खदेड़े जाने पर गांधी मैदान में भी पहुंच रहे लोगों पर भी लाठियां भांजी.
वहीं भीम आर्मी के कार्यकर्ता द्वारा इस तरह कानून अपने हाथ में लेने के सवाल पर विनय रत्न कहते हैं कि उन्होंने कानून को अपने हाथ में नहीं लिया, बल्कि पुलिस ने उनके साथ ज्यादती की. उन्होंने कहा कि छात्रों के बीच भीड़ में आए बाहरी लोगों ने पथराव किया और भीम आर्मी को बदनाम करने का काम किया. विनय का दावा है कि भीम आर्मी शब्बीरपुर गांव में जिन दलितों के घर जलाए गए, उनके लिए मुआवजे की मांग कर रही थी. विनय का दावा जो भी हो, फिलहाल सहारनपुर पुलिस को 9 मई को हुई घटना में भीम आर्मी के बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं की तलाश है. हालांकि इस मामले में पुलिस अब तक कई गिरफ्तारियां कर चुकी है.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal