सर्दियों की ठण्ड से शरीर के तापमान में गिरावट आने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है

शरीर के तापमान में तेजी से गिरावट आने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। तापमान में ज्यादा कमी आने पर यह बेहद खतरनाक भी शामिल हो सकता है। इसके शुरूआती लक्षणों के आधार पर पहचान मुश्किल होती है। सबसे ज्यादा बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर इसका असर होता है। डॉक्टरों के अनुसार हाइपोथर्मिया से बचने के लिए शरीर को गर्म रखना और ठंड से बचाना बेहद जरूरी है। 

आरोग्यधाम अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डा. विपुल कंडवाल के अनुसार स्वस्थ मनुष्य के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। ठंडे मौसम में रहने या ठंडे पानी से भीगने पर अगर शरीर का तापमान गिरकर 35 डिग्री सेल्सियस या 95 डिग्री फारेनहाइट से कम होता है, तब हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है।

कई बार लंबे समय तक इनडोर में 10 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान में रहने और शरीर में थकान या पानी की कमी होने से भी हाइपोथर्मिया हो सकता है। शुरूआत में यह बहुत धीरे-धीरे शरीर पर असर डालता है, जिसके कारण कई लोगों को इसका पता नहीं चलता। शरीर के तापमान के आधार पर हाइपोथर्मिया तीन प्रकार का होता है। हल्का (35 से 32 डिग्री सेल्सियस), मध्यम (32 से 28) और गंभीर (28 से कम)।

शराब व नशीले पदार्थों के सेवन, कुछ दवाओं के इस्तेमाल, हाइपोथायरायडिज्म, डायबिटिज, डिहाईड्रेशन, गठिया, पार्किंसंस जैसी बीमारियों के कारण भी हाइपोथर्मिया हो सकता है। हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखने पर संबंधित व्यक्ति को तुरंत निदानात्मक उपाय करने चाहिए। कई बार लंबे समय तक हाइपोथर्मिया रहने से गैंग्रीन या ऊतक नष्ट होना, ट्रेंच फुट, फ्रॉस्टबाइट और तंत्रिकाओं व रक्त वाहिकाओं की क्षति जैसे नुकसान होते हैं।

हाइपोथर्मिया की शुरूआत में थकान, उलझन (कंफ्यूजन), शरीर में कंपकंपी, सांस चढ़ना, बोलने में परेशानी होनी व आवाज स्पष्ट न निकलना और त्वचा ठंडी व फीकी पड़ना जैसे लक्षण दिखते हैं। परेशानी बढ़ने पर रुक-रुककर कंपकंपी होना, शरीर ठंडा पड़ना, मांसपेशियों में अकड़न, नब्ज धीमी होना, सांस फूलना और सांस लेने में कठिनाई होना, शरीर में थकान, कमजोरी और नींद ज्यादा आना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।  

ऐसे करें हाइपोथर्मिया से बचाव

-शरीर को ठंडा होने से बचाएं और गर्म रखें। ठंड में व्यायाम करने से बचें।
-पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें और ठंड में रहने से बचें। टोपी, स्कार्फ, मोजे जरूर पहनें।
-खाना गरम खाएं और पानी भी गरम पिएं।
-गीले कपड़े बिल्कुल भी न पहनें।
-ठंड ज्यादा लगने पर तुरंत शरीर को गर्म करें। हल्का हाइपोथर्मिया होने पर गर्म कंबल, हीटर, गर्म पानी के बैग का इस्तेमाल शरीर को गर्म करने के लिए करें। 
-अधिक पसीना बहाने वाली गतिविधि से बचें।
-जाड़ों में कई बार प्यास नहीं लगती लेकिन शरीर में पानी की कमी रहती है। इसलिए नियमित तौर पर गुनगुना या गर्म पानी पीते रहें।

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