सरसों के पुष्प, फल अर्पित किए…फिर लगाया केसरिया भात का भोग; वसंत पंचमी पर कुछ ऐसे हुई भस्म आरती

उज्जैन: मावा, सूखा मेवा और ड्रायफ्रूट अर्पित करने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। सरसों के पुष्प अर्पित कर फल और मिष्ठान से बाबा महाकाल का भोग लगाया गया।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज बंसत पंचमी पर चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित भगवान की प्रतिमाओं का पूजन अर्चन किया। दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से बाबा महाकाल का पूजन कर अभिषेक किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद सरसों के फूल और पीले वस्त्र अर्पित कर मां सरस्वती के रूप में बाबा महाकाल का श्रृंगार किया गया। मावा, सूखा मेवा और ड्रायफ्रूट अर्पित करने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। सरसों के पुष्प अर्पित कर फल और मिष्ठान से बाबा महाकाल का भोग लगाया गया।

महाकाल मंदिर में आज से होगी 40 दिवसीय फाग उत्सव की शुरुआत
महाकाल मंदिर में बसंत पंचमी पर्व का उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। ग्रंथों के अनुसार इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, तब देवताओं ने देवी स्तुति की। स्तुति से वेदों की ऋचाएं बनीं और उनसे वसंत राग। इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। महाकालेश्वर मंदिर से आज से फाग उत्सव की शुरुआत हो गई है जो होली तक चलेगा।

बसंत पंचमी पर्व पर भस्मारती में बाबा महाकाल को पीले द्रव्य से स्नान कराया गया। पीले चंदन से आकर्षक श्रृंगार कर सरसों और गेंदे के पीले फूल अर्पित किए गए। विशेष आरती कर फिर पीले केसरिया भात का महाभोग लगाया गया। सांध्याकालीन आरती में भी भगवान का आकर्षक श्रृंगार कर फाग उत्सव के तहत गुलाल अर्पित किया गया। पुजारी महेश गुरु ने बताया कि आज से होली की शुरुआत मानी जाती है। भगवान को प्रतिदिन गुलाल चढ़ाया जाएगा। ऐसा होली तक होगा।

साल में 3 बार उड़ाया जाता है गुलाल
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश गुरु बताते हैं कि महाकालेश्वर मंदिर में साल में तीन बार गुलाल आरती होती है, यानी आरती में गुलाल उड़ाया जाता है। सबसे पहले बसंत पंचमी पर्व पर संध्या कालीन आरती में गुलाल उड़ाकर वसंत ऋतु का अभिनंदन होता है। इसके बाद होली और रंग पंचमी पर्व पर भगवान और भक्तों के बीच गुलाल उड़ाया जाता है। भक्त और भगवान के बीच गुलाल उड़ाने की इस परंपरा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।

बच्चों का पाटी (स्लेट) पूजन
सांदीपनि आश्रम की परंपरा अनुसार इस दिन पहली बार विद्या अध्ययन की शुरुआत करने वाले बच्चों का पाटी (स्लेट) पूजन कराकर विद्या आरंभ संस्कार संपन्न कराया जाएगा। मान्यता है भगवान बलराम व श्रीकृष्ण ने भी आश्रम में इसी परंपरा से विद्या अध्ययन की शुरुआत की थी।

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