एजेंसी/ नई दिल्ली : पहली बार किसी सरकार ने खुद कहा है कि वितीय वर्ष 2016-17 में लोगों को बिजली की किल्लत से दो-चार नहीं होगा। अधिकारियों ने बताया कि सरकारी इनीशिएटिव से ईंधन का मसला सुलझा लिया गया है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी ऑथरिटी (सीआईए) का कहना है कि 2016-17 देश में पीक आवर में 3.1 प्रतिशत औऱ पीक आवर में 1.1 प्रतिशत बिजली सरप्लस में रहेगी।
2015-16 में पीक आवर में बिजली घाटा -3.2% और नॉन-पीक आवर में -2.1% था। करीब 10 साल पहले यही बिजली का घाटा 13 फीसदी था। आकलन के मुताबिक, आधे राज्यों में बिजली सरप्लस में रहेगी। सरकार का कहना है कि थर्मल पावर स्टेशंस में कोयले का पर्याप्त भंडार है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरप्लस बिजली का मतलब देश को औसत बिजली मिलने से है।
कई क्षेत्रों में अब भी घाटा रहेगा। सरकार के अनुसार, कोयले के पर्याप्त भंडार होने के कारण बंद पड़े पावर प्लांटस को चलाया जा सकेगा। सीआईए के आंकड़ो के अनुसार, सदर्न इंडिया में 3.3प्रतिशत बिजली सरप्लस में रहेगी। साउथ इंडिया में नए प्लांटस से 2000 मेगावाट बिजली मिलने की संभावना है, जबकि वेस्टर्न इंडिया में 6.9 प्रतिशत बिजली सरप्लस मिलेगी।
देश में बिजली की सबसे अधिक किल्लत पूर्वी भारत और नॉर्थ-ईस्टर्न रीजन में है। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल में कन्वेंशनल पावर कैपेसिटी 46 हजार 453 मेगावॉट हो गई है। जो कि अब तक सबसे ज्यादा है। गोयल ने कहा कि 11,000 मेगावॉट के पावर प्लांट्स की स्थिति सुधरी है।
अब प्लांट्स में कोयले की शॉर्टेज भी नहीं है। पूर्व पावर मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि सरकार कांग्रेस की ही नीतियों को आगे बढ़ाकर लोगों को मिसलीड कर रही है। आज भी बिजली कटौती हो रही है और सरकार कुछ और बयान दे रही है।