केंद्र सरकार के द्वारा खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन में बढ़ोतरी की गई है. सरकार की ओर से इसे बड़ा फैसला बताया जा रहा है तो वहीं कई एक्सपर्ट ने भी अपनी राय रखी है. CRISIL के चीफ इकॉनोमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने इस फैसले को समझाया. उन्होंने कहा कि इस साल खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) फसलों की वास्तविक कीमत और किसान की मेहनत के फॉर्मूले पर 50-97 फीसदी अधिक निर्धारित की गई है और यह पिछले साल की तुलना में 4-52 फीसदी अधिक है.
वहीं सरकार द्वारा पिछले साल खरीदी गई फसल के आधार पर औसत एमएसपी में वृद्धि लगभग 13 फीसदी है. यदि यह मान लिया जाए कि सरकार इस साल भी उतनी ही फसल खरीदने जा रही है जितनी पिछले साल खरीदी गई तब एमएसपी में की गई वृद्धि से केन्द्र सरकार के खजाने पर 11,500 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा.
हालांकि एमएसपी में वृद्धि का वास्तविक असर केन्द्र सरकार पर इससे अधिक पड़ने की उम्मीद है क्योंकि इस साल सरकार पिछले साल से अधिक फसल खरीद करने के लिए तैयार है. वहीं जहां फसल की खरीद नहीं होगी वहां फसल की एमएसपी और वास्तविक कीमत (मंडी में कीमत) का अंतर किसान को देने का प्रावधान भी किया जा सकता है. मौजूदा समय में ज्यादातर फसलों की मंडी में कीमत घोषणा की गई एमएसपी से कम है.