कृषि कानूनों पर चल रहे किसानों के विरोध को लेकर तोमर ने कहा कि सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद करना चाहती थी जिससे वे अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी, अपनी कीमत पर बेच सकें। कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि अभी कोई भी कानून यह नहीं कहता कि तीन दिन बात उपज बेचने के बाद किसान को उसकी कीमत मिलने का प्रावधान हो जाएगा, लेकिन इस कानून में यह प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें लगता था कि लोग इसका फायदा उठाएंगे, किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा, बुवाई के समय उसे मूल्य की गारंटी मिल जाएगी और किसान की भूमि को पूरी सुरक्षा देने का प्रबंध किया गया है।

हमने किसानों की समस्याओं को लेकर उनके साथ पूरा संवाद करने की कोशिश की। कई दौर की वार्ताएं कीं। लेकिन उनकी ओर से कोई सुझाव आ ही नहीं रहा था। उनकी एक ही मांग है कि कानूनों को निरस्त कर दो। हम उनसे पूछ रहे हैं कि कानूनों में किन प्रावधानों से किसानों को समस्याएं हैं। लेकिन इस बारे में भी उन्होंने कुछ नहीं किया तो हमने ही ऐसे मुद्दे ढूंढे और उन्हें भेज दिए। जिन प्रावधानों पर आपत्ति है सरकार उनका समाधान करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जमीन विवाद पर हमने प्रावधान किया था कि एसडीएम को 30 दिन में विवाद का निपटारा करना होगा। लेकिन उन्हें लगता है कि अदालत में जाने की सुविधा होनी चाहिए। तो हमने प्रस्ताव रखा है कि हम किसान को इसका विकल्प दे सकते हैं।
तोमर ने कहा कि टैक्स के मुद्दे पर भी हम विचार करने को तैयार हैं। हमने प्रस्ताव दिया कि राज्य सरकार निजी मंडियों की व्यवस्था भी लागू कर सकेगी और राज्य सरकार निजी मंडियों पर भी टैक्स लगा सकेगी। एक्ट में यह प्रावधान था कि पैन कार्ड से ही खरीद हो सके। सरकार सोचती थी कि व्यापारी और किसान दोनों इंस्पेक्टर राज और लाइसेंसी राज से बच सकें। लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि पैन कार्ड तो किसी के भी पास होगा और कोई भी खरीद कर सकेगा तो ऐसे में हम क्या कर सकेंगे। इस आशंका को दूर करने के लिए हमने प्रस्ताव रखा कि राज्य सरकारों को पंजीयन के नियम बनाने की शक्ति दी जाएगी।
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