यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन का शोध के अनुसार विशेषज्ञों को अस्सी के दशक से ही एमजी की जानकारी थी, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित नए पेपर से पता चला कि ये जीवाणु संक्रमण जो मूत्र और जननांग आदि जगहों पर रहता है, यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 18 से 44 वर्ष की उम्र के बीच की उन 4507 पुरुषों और महिलाओं के मूत्र के नमूने की जांच की, जोकि जो कम से कम एक साथी के साथ यौन रूप से सक्रिय थे। इन लोगों में से 48 महिलाओं और 24 पुरुषों में माइकोप्लाज्मा जेनेटीलियम संक्रमण देखा गया। 
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हालांकि जब शोधकर्ताओं ने लगभग 200 किशोरों से मूत्र के नमूने का परीक्षण किया, जिन्होंने कभी सेक्स नहीं किया था, तो किसी को भी यह संक्रमण नहीं था।यूं तो पहले से ही कई प्रकार के यौन संक्रमण रोगों (सेक्स ट्रांसमिटिड डिजीज) के बारे में लोगों के सचेत व जागरूक किया जाता रहा है, लेकिन इसी बीच एक नए प्रकार के यौन संक्रमण रोग के बारे में जानकारी सामने आई है। इस यौन संक्रमण रोग को माइकोप्लाज्मा जेनेटीलियम (mycoplasma genitalium, or MG) के नाम से जाना जाता है।
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क्या होता है माइकोप्लाज्मा जेनेटीलियम : ‘एमजी’ को गर्भाशय ग्रीवा में सूजन (गर्भाशयग्रीवाशोथ) तथा श्रोणि में सूजन की बीमारी (pelvic inflammatory disease, PID) जैसी गंभीर बीमारियों से जोड़ कर देखा जाता है, जोकि अक्सर क्लैमाइडिया और सूजाक (chlamydia and gonorrhea) जैसे अन्य एसटीडी की वजह से होते हैं। डॉ. डार्डिक के अनुसार पीआईडी से पिड़ित 10 प्रतिशत महिलाएं (जिसके कारण पेट में दर्द, बुखार, गर्भाशय ग्रीवा, या सेक्स के दौरान रक्तस्राव या दर्द होता है), में ‘एमजी’ अंतर्निहित कारण होता है।
क्या है इसका इलाज : हैरानी की बात है कि इसका इलाज गले के संक्रामण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक अज़िथ्रोमाइसिन (azithromycin) है। ‘एमजी’ के इलाज में भी इसकी डोज़ प्रभावी है। इससे बचाव के लिए कंडोम का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह एक बैक्टीरिया है, और कंडोम बैक्टीरिया के खिलाफ बहुत प्रभावी होते हैं।