समस्याओं में फंसी है देश की एयर इंडिया, क्या टाटा के हाथों में दोबारा लौटेगी इसकी कमान

घाटे में चल रहीसरकारी विमानन कंपनी एयरइंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए निविदा की प्रक्रियाऔपचारिक रूप से समाप्त हो गईहै। इसमें टाटा संस, विमानन कंपनी के कर्मचारियों के कंसोर्टियम और अमेरिकी निवेश कंपनी इंटरप्स इंक आदि ने रुचि दिखाई है। दिलचस्प बात यह है कि एयर इंडिया की स्थापना वर्ष 1932 में जेआरडी टाटा ने की थी, जो टाटा समूह के चेयरमैन भी रहे। एयर इंडिया शुरुआत में टाटा एयरलाइंस थी। दरअसल, जेआरडी टाटा के उड्डयन के जुनून के कारण ही एयर इंडिया की स्थापना हुई थी और आज टाटा समूह उसे फिर हासिल करने की दौड़ में शामिल है…

विनिवेश का दूसरा प्रयास

सरकार की तरफ से शुरू किए गए एयर इंडिया के विनिवेश का यह दूसरा प्रयास है। कर्ज में दबी विमानन कंपनी के लिए पहली बार निविदा प्रक्रिया वर्ष 2018 में शुरू हुई थी, जिसमें सरकार को निराशा हाथ लगी थी। इस दौरान सरकार ने अपनी 76 फीसद हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था, जिसमें कर्ज भी शामिल था। इस बार सरकार ने एयर इंडिया लिमिटेड की अपनी 100 फीसद हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है, जिसमें एयर इंडिया एक्सप्रेस की 100 प्रतिशत व एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विस की 50 फीसद हिस्सेदारी शामिल है। सरकार ने वर्ष 2020-21 तक 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का फैसला किया है, हालांकि अब तक सिर्फ पांच फीसद लक्ष्य हासिल हो पाया है।

दौड़ में कौन-कौन

सूत्र बताते हैं कि इस बार टाटा समूह ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। यही वजह है कि उसने खुद से संबद्ध विमानन कंपनी विस्तारा या एयरएशिया इंडिया के जरिये निविदा नहीं डाली है। एक अन्य निविदा एयर इंडिया के कर्मचारियों व इंटरप्स की तरफ से संयुक्त रूप से डाली गई है, जिसमें 51 फीसद हिस्सेदारी एयर इंडिया इंप्लाई एसोसिएशन तथा 49 फीसद इंटरप्स को देने की मांग की गई है। एयर इंडिया की कमर्शियल डायरेक्टर मीनाक्षी मलिक ने 20 हजार कर्मचारियों से निविदा प्रक्रिया में भाग लेने का आह्वान किया था। हालांकि, निवेश व सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने एक ट्वीट में कहा है कि विनिवेश प्रक्रिया में कई ने रुचि दिखाई है। अब हम दूसरे चरण का काम शुरू करेंगे। बताते हैं कि जिसके पक्ष में निविदा खुलेगी उसे 15 फीसद राशि का नकद भुगतान करना होगा, जबकि बाकी को कर्ज माना जा सकता है।

कर्ज में दबी है कंपनी

एयर इंडिया पर फिलहाल करीब 70,686 करोड़ का कर्ज और व्यापारिक देनदारियां हैं। वर्ष 2018-19 तक उसका कुल कर्ज 58,255 करोड़ रुपये था। इसके बाद सरकार ने एयर इंडिया के 29,464 करोड़ रुपये के कर्ज को एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग कंपनी लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया।

जेआरडी टाटा ने शुरू की विमान सेवा

दिग्गज उद्योगपति जेआरडी टाटा को भारत में विमान सेवा का पितामह मानाजाता है। वह रतन दादाभाई टाटा और सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनकी मां भारत में कार चलाने वाली पहली महिला थीं। वह फ्रांसीसी थीं, इसलिए जेआरडी टाटा का अधिकांश बचपन फ्रांस में ही बीता। वह उत्तरी फ्रांस स्थित एक रिसॉर्ट में छुट्टियां बिताने जाते थे। वहां वह लुईस ब्लेरियोट के बेटे के साथ खेलते थे। ब्लेरियोट ने वर्ष 1909 में इंग्लिश चैनल के आरपार विमान उड़ाया था। ऐसा करने वाले वह पहले व्यक्ति थे। वही जेआरडी टाटा की प्रेरणा रहे। वर्ष 1929 में जेआरडी टाटा को पायलट का लाइसेंस मिला। पायलट लाइसेंस हासिल करने वाले वह पहले भारतीय थे। उन्होंने वर्ष 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की। 15 अक्टूबर, 1932 को जेआरडी टाटा ने कराची से बांबे (मुंबई) की उड़ान भरी थी। इस विमान में डाक लदी थी। इसके साथ ही भारत में विमान सेवा की शुरुआत हो गई।

एयर इंडिया का गठन

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उड़ान सेवाएं रोक दी गईं। उड़ान सेवाओं की बहाली के बाद 29 जुलाई, 1946 को टाटा एयरलाइंस पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई। उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड रखा गया। आजादी के बाद 1947 में इसकी 49 फीसद हिस्सेदारी सरकार ने ले ली और 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया। 

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