जब भी किसी जगह किसी फेस्टिवल की शुरूआत होती है. वहां पर्यटकों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
सबरीमाला मंदिर केरल में है. सबरीमाला मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. यहां हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं क्योंकि यहां पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है. भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए इस दिन यहां सबसे ज्यादा भक्त पहुंचते हैं.
यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है. यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं. पहली पांच सीढियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है. इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है. अगली तीन सीढियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है.
10 से 17 अप्रैल को ‘विष्णु महोत्सव’
मंदिर में हर साल विष्णु महोत्सव बनाया जाता है. जिसे मंडला पूजा भी कहा जाता है.
मंडला पूजा में सबरी माला मंदिर के दर्शन का महत्व होता हैं. बड़े विधि विधान से इस पूजा का आयोजन किया जाता हैं. इसके नियम बहुत कठिन हैं जिनका सावधानी से ध्यानपूर्वक पालन किया जाता हैं.
भारत के हर एक प्रान्त में भगवान के अलग-अलग रूपों को पूजा जाता हैं. कई लोगो को इस बात में संदेह हैं कि भगवान का कोई अस्तित्व नहीं लेकिन इतनी बड़ी संख्या में दुनिया के हर एक देश में भगवान का कोई न कोई रूप मौजूद हैं केवल भारत ही नहीं हर जगह त्यौहार मनाये जाते हैं.
कैसे पहुंचे
यह मंदिर 1535 ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है. इस मंदिर से पांच किलोमीटर दूर पंपा तक कोई गाड़ी लाने का रास्ता नहीं हैं, इसी वजह से पांच किलोमीटर पहले ही उतर कर यहां तक आने के लिए पैदल यात्रा की जाती है. रेल से आने वाले यात्रियों के लिए कोट्टयम या चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन नजदीक है. यहां से पंपा तक गाड़ियों से सफर किया जा सकता है. पंपा से पैदल जंगल के रास्ते पहाड़ियों पर चढ़कर सबरीमाला मंदिर में अय्यप्पा के दर्शन प्राप्त होते हैं. यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट तिरुअनंतपुरम है, जो सबरीमला से 92 किलोमीटर दूर है.