केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ अयप्‍पा मंदिर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली है। बता दें कि 800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया। नवम्बर से जनवरी तक जुटता है श्रद्धालुओं का मेला बता दें कि सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। Air Force Day LIVE: वायुसेना के 258 जवान कर रहे ताकत का प्रदर्शन, पीएम ने किया ट्वीट यह भी पढ़ें केरल सरकार ने किया कोर्ट के फैसले का सम्‍मान केरल सरकार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर नहीं करेगी। केरल सरकार का कहना है कि वह कोर्ट के फैसला का सम्मान करती है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार सबरीमाला जाने वाली महिला भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं थीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थी। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में युवा और किशोरी महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस परंपरा को गलत बताया और हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेज की इजाजत दे दीकेरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ अयप्‍पा मंदिर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली है। बता दें कि 800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया। नवम्बर से जनवरी तक जुटता है श्रद्धालुओं का मेला बता दें कि सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। Air Force Day LIVE: वायुसेना के 258 जवान कर रहे ताकत का प्रदर्शन, पीएम ने किया ट्वीट यह भी पढ़ें केरल सरकार ने किया कोर्ट के फैसले का सम्‍मान केरल सरकार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर नहीं करेगी। केरल सरकार का कहना है कि वह कोर्ट के फैसला का सम्मान करती है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार सबरीमाला जाने वाली महिला भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं थीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थी। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में युवा और किशोरी महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस परंपरा को गलत बताया और हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेज की इजाजत दे दी

सबरीमाला मंदिर केस: महिलाओं की एंट्री के फैसले के खिलाफ SC में पुनर्विचार याचिका

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ अयप्‍पा मंदिर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली है। बता दें कि 800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया।केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ अयप्‍पा मंदिर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली है। बता दें कि 800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया।  नवम्बर से जनवरी तक जुटता है श्रद्धालुओं का मेला बता दें कि सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।   Air Force Day LIVE: वायुसेना के 258 जवान कर रहे ताकत का प्रदर्शन, पीएम ने किया ट्वीट यह भी पढ़ें केरल सरकार ने किया कोर्ट के फैसले का सम्‍मान केरल सरकार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर नहीं करेगी। केरल सरकार का कहना है कि वह कोर्ट के फैसला का सम्मान करती है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार सबरीमाला जाने वाली महिला भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।  गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं थीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थी। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में युवा और किशोरी महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस परंपरा को गलत बताया और हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेज की इजाजत दे दीकेरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ अयप्‍पा मंदिर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली है। बता दें कि 800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया।  नवम्बर से जनवरी तक जुटता है श्रद्धालुओं का मेला बता दें कि सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।   Air Force Day LIVE: वायुसेना के 258 जवान कर रहे ताकत का प्रदर्शन, पीएम ने किया ट्वीट यह भी पढ़ें केरल सरकार ने किया कोर्ट के फैसले का सम्‍मान केरल सरकार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर नहीं करेगी। केरल सरकार का कहना है कि वह कोर्ट के फैसला का सम्मान करती है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार सबरीमाला जाने वाली महिला भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।  गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं थीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थी। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में युवा और किशोरी महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस परंपरा को गलत बताया और हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेज की इजाजत दे दी

नवम्बर से जनवरी तक जुटता है श्रद्धालुओं का मेला

बता दें कि सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

केरल सरकार ने किया कोर्ट के फैसले का सम्‍मान

केरल सरकार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए कोर्ट के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर नहीं करेगी। केरल सरकार का कहना है कि वह कोर्ट के फैसला का सम्मान करती है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार सबरीमाला जाने वाली महिला भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं थीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थी। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में युवा और किशोरी महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस परंपरा को गलत बताया और हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेज की इजाजत दे दी

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