मंदिर की भूमि विवाद में अधिवक्ता मंजुल चौबे और उनकी चचेरी बहन की हत्या के मामले में फंसे सपा एमएलसी कमलेश पाठक का क्षेत्र में खासा दबदबा कायम रहा है। क्षेत्र में उनकी गिनती बाहुबलियों में होती रही है। जनता दल के विधायक तोड़कर सरकार बनवाने के बाद से वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह अति करीबी हो गए थे। इसके बावजूद हठधर्मिता के चलते औरैया आए तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह के हेलीकॉप्टर पर गोलियों की बौछार कराकर उसे उतरने नहीं दिया था।
वर्ष 1985 में सपा से बने थे विधायक
औरैया के निकट भड़ारीपुर गांव के रहने वाले रामऔतार पाठक के पुत्र कमलेश पाठक सबसे कम उम्र में विधायक बने थे। उन्होंने जनता दल से विधायकों को तोड़कर मुलायम सिंह की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद से वह मुलायम सिंह के अति करीबियों में शामिल हो गए थे। तत्कालीन समाजवादी सरकार में तो लोग उनहें मिनी मुख्यमंत्री कहने लगे थे। वर्ष 1985 में 28 वर्ष की उम्र में सदर विधानसभा क्षेत्र में पहली बार समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने थे। वर्ष1990 में विधान परिषद सदस्य रहे और 1991 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बने। वर्ष 2002 से डेरापुर से चुनाव लड़कर विधायक बने।
चुनाव हारने के बाद भी कायम रहा कद
समाजवादी पार्टी में चुनाव हारने के बाद भी कमलेश पाठक का कद कायम बना रहा। वर्ष 2007 में दिबियापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। तत्कालीन बसपा सरकार में इंजीनियर हत्याकांड का मुद्दा उठा आंदोलन किया। जेल में रहकर 2009 से अकबरपुर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन पराजय मिली थी। वर्ष 2012 में सिकंदरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और इस बार भी हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वर्ष 2013 में सपा सरकार ने उन्हें रेशम विभाग का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। समाजवादी पार्टी ने 17 मई 2015 को एमएलसी प्रत्याशियों की सूची में शामिल किया और एमएलसी चुने गए।
नहीं उतरने दिया था मुलायम का हेलीकॉप्टर
सपा संरक्षक मुलायम सिंह के नजदीकी माने जाने वाले डा. कमलेश पाठक ने जिला बचाओ आंदोलन में अपनी ही पार्टी का विरोध करके बगावत भी की थी। 2003 में बनी सपा सरकार में कमलेश पाठक विधायक थे। मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह ने औरैया जिला खत्म किया तो कमलेश पाठक बगावत पर उतर आए थे। औरैया में सभा करने आए मुलायम सिंह के हेलीकॉप्टर पर गोलियां चलवा दी थीं। एक घंटे तक हेलीकॉप्टर हवा में उड़ता रहा था और उसे उतरने नहीं दिया था। सड़कों पर बवाल होने पर तत्कालीन विधानसभा अध्य्क्ष स्व. धनीराम वर्मा पत्थर लगने से घायल हो गए थे और उन्हें कानपुर भर्ती कराया गया था।
सबसे बड़े हिस्ट्रीशीटर को गिराकर कायम किया था वर्चस्व
बीहड़ से जुड़े औरैया में 70 और 80 के दशक में अपराधियों का बोलबाला था। उस समय औरैया में स्वामीचरन चौधरी की तूती बोलती थी। गांव से निकले युवा कमलेश पाठक ने शहर के प्रमुख चौराहा सुभाष चौक पर हिस्ट्रीशीटर स्वामीचरन चौधरी पर हमला करके गिरा दिया था। इसके बाद शहर में उनका दबदबा कायम हो गया था और फिर मुलायम सिंह के संपर्क में आने के बाद राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।