धार्मिक मत है कि माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Sakat Chauth 2025) पर शिव परिवार की पूजा करने से हर बाधा दूर होती है। इसके साथ ही घर में सुखों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान गणेश की विशेष पूजा की जा रही है। भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 17 जनवरी को सकट चौथ है। यह पर्व हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश और सकट माता की की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त हर एक बाधा दूर हो जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सौभाग्य और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से सौभाग्य में अपार वृद्धि होगी। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सकट चौथ के शुभ अवसर पर भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा (Sakat Chauth 2025 Puja Vidhi) करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें और पूजा का समापन ‘जय गणेश जय गणेश’ आरती से करें।
भगवान गणेश के मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥
वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।
कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥
विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।
सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥
गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,
चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।
लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,
शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥
गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,
सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।
सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,
शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,
विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥