कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना को देश की सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. संसद को भंग करने के उनके फैसले को मंगलवार को शीर्ष अदालत ने पलट दिया है, साथ ही इस पर सात दिसंबर तक रोक लगा दी है. साथ ही पांच जनवरी को होने वाले मध्यावधि चुनाव की तैयारियों को भी रोकने के निर्देश दिए हैं.
अदालत ने अंतिम निर्णय देने से पहले अगले महीने राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं पर विचार करने की बात भी कही है. उधर, कोर्ट का आदेश आने के बाद स्पीकर ने बुधवार को संसद की बैठक बुलाई है. प्रधान न्यायाधीश नलिन परेरा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है, पीठ ने निर्धारित अवधि से दो साल पहले संसद भंग करने के राष्ट्रपति के नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर 13 याचिकाओं और सिरिसेना का समर्थन करने वाली पांच याचिकाओं की सुनवाई करने के बाद ये निर्णय लिया है.
इससे पहले अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी और चुनाव आयोग के सदस्य रत्नजीवन हुले ने संसद भंग करने और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने के फैसले करे खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. वहीं विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति सिरिसेना के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं पर 4,5,6 दिसंबर को सुनवाई की जाएगी. आपको बता दें कि 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से हटाकर पूर्व राजनीतिक दिग्गज महिंदा राजपक्षे को नियुक्त करने के बाद से श्रीलंका में राजनितिक भूचाल आ गया है.