श्रीलंका की इकॉनमी का बुरा हाल है। पिछले कुछ महीनों से श्रीलंका की इकॉनमी लगातार पस्त होती गई है। श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि देश में कागज की कमी हो गई है जिसके कारण स्कूली किताबों की छपाई में देरी हो रही है। श्रीलंकाई शैक्षिक प्रकाशन विभाग के आयुक्त जनरल पी एन इलापेरुमा ने इस बात की पुष्टि की है।
फ्यूल, बिजली, कोरोना और इकॉनमी है वजह
इलापेरुमा ने बताया है कि देश में मौजूदा फ्यूल संकट के कारण स्कूलों को छपे हुए किताबों के वितरण में भी देरी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक हाल के दिनों में बिजली की रुकावट ने स्कूली किताबों की छपाई पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इससे पहले कोरोना वायरस महामारी के कारण भी किताबों की छपाई पर असर पड़ा था।
कोरोना महामारी के दौरान कई प्रिंटर बंद हो गए
उन्होंने आगे कहा है राज्य मुद्रण निगम और निजी प्रिंटर के कई खंड कोरोना महामारी के कारण बंद हो गए हैं। इसलिए प्रोजेक्ट को पूरा करने में देरी हुई है। उन्होंने आगे बताया है कि राज्य मुद्रण निगम में 45 फीसद स्कूली किताबों की छपाई की गई है। देश में स्कूली बच्चों के बीच करीब 3.8 करोड़ किताबें वितरित की जानी हैं। इस साल 3.25 करोड़ किताबों की छपाई की जानी है।
अब तक 233.8 करोड़ रुपये खर्च
रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने किताबों की छपाई पर 233.8 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें वे किताबें भी शामिल हैं जो बच्चों को दी गई हैं। कुल 3.48 करोड़ के लिए किताबों को प्रांतीय किताबों की दुकानों और सीधे कई स्कूलों में वितरित किया गया है और 3.16 करोड़ किताबें छपनी हैं। हालांकि प्रकाशन विभाग को स्कूल शुरू होने से पहले बाकी किताबों को प्रिंट करना है।