‘शराबबंदी से बदला बिहार का चेहरा, समाज में आया सकारात्मक बदलाव’, मद्य निषेध मंत्री ने किया दावा!

मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले बिहारी शब्द एक ताना बन चुका था। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। सरकार की विकास योजनाओं, कानून व्यवस्था की मजबूती और खासकर शराबबंदी ने बिहार को एक नई पहचान दी है।

राज्य में लागू शराबबंदी कानून को लेकर मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा भागलपुर में एक जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहर के शारदा पाठशाला क्रीड़ा मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 2016 में लागू की गई शराबबंदी न केवल एक कानूनी पहल थी, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाला ऐतिहासिक कदम बन गया है।

‘शराबबंदी ने बदली सामाजिक सोच’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि शराबबंदी महात्मा गांधी, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, डॉ. कलाम, डॉ. लोहिया और जननायक कर्पूरी ठाकुर के सपनों को साकार करने की दिशा में नीतीश सरकार की एक ठोस पहल है। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने न सिर्फ नशे के खिलाफ लड़ाई को मजबूती दी, बल्कि बिहार के सामाजिक ढांचे को भी सुदृढ़ किया है।

‘अब बिहारी कहलाना गर्व की बात’
मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले बिहार की छवि देशभर में नकारात्मक रूप से देखी जाती थी। उस दौर में बिहारी शब्द एक ताना बन चुका था। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। सरकार की विकास योजनाओं, कानून व्यवस्था की मजबूती और खासकर शराबबंदी ने बिहार को एक नई पहचान दी है। मंत्री ने गर्व के साथ कहा कि अब बिहारी कहलाना गौरव की बात है।

‘आपसी विवादों में आई भारी गिरावट, हिंसा में भी कमी’
मंत्री सदा ने आंकड़ों के माध्यम से शराबबंदी के प्रभाव को सामने रखते हुए बताया कि 2004 में जहां आपसी विवाद के 9,199 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा घटकर मात्र 3,186 रह गया है। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि शराब के सेवन से उपजी घरेलू हिंसा, विवाद और अपराधों में सुनियोजित गिरावट आई है। उन्होंने इसे बिहार के सामाजिक सुधार का प्रतीक बताया।

‘महिलाएं निभाएं बदलाव में अहम भूमिका, बच्चों को करें शिक्षित’
कार्यक्रम में मंत्री ने महिलाओं से विशेष आह्वान किया कि वे नशामुक्त समाज की स्थापना में सरकार की भागीदार बनें। उन्होंने कहा कि महिलाएं ही समाज की असली धुरी हैं और वे अपने बच्चों को शिक्षित कर एक स्वस्थ, समृद्ध और नशामुक्त बिहार की नींव रख सकती हैं। उन्होंने जीविका दीदी, विकास मित्र और टोला सेवकों की सक्रिय भूमिका को भी सराहा।

नुक्कड़ नाटक के जरिए नशामुक्ति का संदेश
कार्यक्रम में कला जत्था के कलाकारों ने नशामुक्ति पर आधारित एक सशक्त नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। नाटक में शराब से जुड़ी पारिवारिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों को भावुक भी किया और जागरूक भी।

जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर मंत्री रत्नेश सदा के साथ उप आयुक्त मद्य निषेध प्रमोदीत नारायण सिंह और जदयू प्रदेश महासचिव शुभानंद मुकेश समेत कई अन्य पदाधिकारी तथा लोग मौजूद रहे।

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