शनि देव अर्थात शनिग्रह ने शुक्रवार सुबह समय नौ बजकर 53 मिनट पर धनु से अपनी राशि मकर में प्रवेश किया है। यह प्रवेश शनिग्रह ने करीब 29 वर्ष बाद किया है। अब वृश्चिक राशि में शनि की साढ़ेसाती और कन्या व वृष में शनि की ढैय्या समाप्त हो गई है। पंडित रंजीत शर्मा के अनुसार शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से धनु, मकर और कुंभ राशि में शनि की साढ़ेसाती रहेगी जबकि मिथुन और तुला राशि में शनि की ढैय्या रहेगी। अब अन्य राशियां शनि के प्रभाव से मुक्त रहेगी।
उन्होंने बताया है कि शनिदेव ने 29 वर्षों के बाद मकर राशि में प्रवेश किया है। पिछली बार फरवरी 1991 में शनि देव मकर राशि में थे। पंडित ने बताया कि शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या में किसी भी आदमी को घबराने और डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि शनिदेव न्याय के देवता हैं और हर मनुष्य को उसके कर्मों का फल देता है। अच्छे कर्म करने वालों का साथ देता है और बुरा करने वाले दंड।
पंडित रंजीत शर्मा ने बताया है कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या में मानसिक संताप, शारीरिक कष्ट, कलह क्लेश, आर्थिक परेशानियां, आय कम व खर्च की अधिकता, रोग, शत्रु भय, बनते कार्यों में बाधाएं और संतान एवं परिवार संबंधी परेशानियां उत्पन होती हैं। यदि जन्म कुंडल में शनि अच्छे भाव में हो तो बुरा प्रभाव कम रहेगा।
शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभाव से बचने के लिए शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जप, तुला दान, शनि से संबंधित वस्तुओं का दान, शनिवार का व्रत रखना, हनुमान चालीसा का पाठ, शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा, काली गाय की सेवा, बंदरों को गुड़ चने खिलाना, चींटियों को आटा डालना जैसे कई उपाय है। इनमें से कोई एक उपाय करके शनिदेव के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं। जरूरतमंद और गरीब आदमी को दान करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
शनि के उपाय के साथ-साथ मनुष्य को अच्छा आचरण भी करना चाहिए। मदिरापान करने, मांस मछली खाने, माता-पिता का अपमान, किसी जीव या पक्षी को नुकसान पहुंचाना या मारने से शनि बिगड़ता है।