घोड़े के नाल के विशेष प्रभाव और आकृति की वजह से शनि और राहु हमेशा नियंत्रित रहते हैं. अगर घोड़े की नाल का गलत तरीके से प्रयोग की जाए तो यह मुश्किल में डाल सकती है.

घोड़े की नाल, घोड़े के खुर में लगाई जाती है, ताकि न तो घोड़े को समस्या हो और न ही घोड़े की सवारी करने वाले को. यह U की आकृति की होती है. इसके विशेष प्रभाव के कारण शनि और राहु से इसका सम्बन्ध जोड़ा जाता है.
क्यों और कैसे घोड़े की नाल शनि को नियंत्रित कर सकती है?
– शनि गति, संघर्ष और मेहनत का ग्रह है, और यही गुण घोड़े की नाल में भी है.
– घोड़े की नाल घोड़े के पैरों में लगी होने के कारण गतिशील अवस्था में रहती है.
– बार-बार जमीन से घिसती और टकराती रहती है.
– रगड़ खाते रहने के कारण इसमें चुम्बकीय प्रभाव आ जाता है.
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– और इसी चुम्बकीय प्रभाव के कारण ही घोड़े की नाल शनि को नियंत्रित कर पाती है.
किस प्रकार करें घोड़े की नाल का प्रयोग ताकि शनि पीड़ा से मुक्ति मिले?
– किसी मंगलवार या बृहस्पतिवार को घोड़े की नाल ले लें.
– नाल जितनी ज्यादा पुरानी और घिसी हुई होगी, उतनी ही ज्यादा उत्तम होगी.
– इस नाल से एक अंगूठी बनवा लें.
– परन्तु अंगूठी केवल पीट पीटकर बनाई जाए, इसे आग में नहीं तपाया जाय.
– शनिवार को इस अंगूठी को सरसों के तेल से धोकर, मध्यमा अंगुली में धारण कर लें.
घोड़े की नाल का प्रयोग कैसे करें ताकि घर में सुख शांति आए?
– घोड़े की नाल मंगलवार या बृहस्पतिवार को घर ले आएं.
– इसे सरसों के तेल में डुबोकर रख दें.
– शानिवार को सायं घर के मुख्य द्वार पर ऊपर बीचों बीच इसे U की आकृति में लगाएं.
– अब नित्य सायं इसे धूप दिखाएं.
– घर में सुख शांति और समृद्धि आएगी.
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