अश्विन प्रतिपदा से देश में शक्ति की आराधना का पर्व प्रारंभ हो जाता है। हर कहीं मां शक्ति को जागृत करने के लिए श्रद्धालु तंत्रोक्त और सात्विक उपाय करते हैं। इस दौरान सुबह से ही देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर में घंटे, नगाड़े, शंख आदि बज उठते हैं। मंदिर परिसर धूप की सुगंध से महक उठता है। देशभर में 17 अक्टूबर 2020 से श्रद्धा और शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान देवी मंदिरों में शक्ति की उपासना करेंगे।

देशभर के शहरों में श्रद्धालु माता की आराधना करते है। कुछ लोग इस दौरान व्रत रखेंगे तो कुछ दाढ़ी और बाल बढ़ाने की उपासना करेंगे। इस दौरान श्रद्धालु सात्विक और तामसिक रीति से माता की आराधना करेंगे। नौ दिन तक मंदिरों में शक्ति की भक्ति का अलख जगाया जाएगा। श्रद्धालु अखंड ज्योत से माता की आराधना करेंगे। इस दौरान गरबा पांडाल सजकर तैयार हो जाऐंगे।
श्रद्धालु श्रद्धा से गरबों का आनंद लेंगे। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की आराधना की जाती हैं। ये देवी पर्वतराज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं। इन्होंने अपने हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है तो दूसरे हाथ में कमल पुष्प है। माथे पर मुकुट सुशोभित है। देवी वृषभ पर आरूढ़ हैं। इस स्वरूप में माता पार्वती की आराधना की जाती है।
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