वैज्ञानिकों का बड़ा दावा- भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पर मंडरा रहा है अब बड़ा खतरा...अब खत्म हो जाएंगी

वैज्ञानिकों का बड़ा दावा- भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पर मंडरा रहा है अब बड़ा खतरा…अब खत्म हो जाएंगी

New Delhi: दक्षिण एशिया पर खतरा मंडरा रहा है। इसकी जद में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश आ सकते हैं। इस शताब्दी के अंत तक इन देशों को भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी गर्मी जिसको सहन करना आम इंसान के बस में नहीं होगा। ऐसा दावा एक रिसर्च में किया गया है।वैज्ञानिकों का बड़ा दावा- भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पर मंडरा रहा है अब बड़ा खतरा...अब खत्म हो जाएंगीअभी-अभी: सीएम योगी ने किया बड़ा ऐलान गरीब लड़कियों को शादी के लिए देगे 35 हजार रुपये और…

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ती गर्मी और उमस की वजह से दक्षिण एशिया के लाखों लोग पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक अगर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाले उत्सर्जन में कमी नहीं आई तो साल 2100 तक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बड़े हिस्से में तापमान जीवन को खतरे में डालने के स्तर तक पहुंच जाएगा।

 

 

शोधकर्ताओं का कहना है कि खतरनाक उमस भरी गर्म हवाओं के घेरे में 30 फीसद तक आबादी आ सकती है। दक्षिण एशिया में दुनिया की कुल आबादी के बीस फीसद लोग रहते हैं। साल 2015 में ईरान में मौसम विज्ञानियों ने वेट बल्ब के तापमान को 35 सेंटीग्रेट के करीब देखा था। उसी साल गर्मियों में हीट वेव की वजह से भारत और पाकिस्तान में 35 सौ लोगों की मौत हुई थी।

 

शोध के मुताबिक अगर उत्सर्जन की दर ज्यादा रही तो वेट बल्ब तापमान गंगा नदी घाटी, उत्तर पूर्व भारत, बांग्लादेश, चीन के पूर्वी तट, उत्तरी श्रीलंका और पाकिस्तान की सिंधु घाटी समेत दक्षिण एशिया के ज्यादातर हिस्से में 35 डिग्री सेंटीग्रेट के करीब पहुंच जाएगा।

 

मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एलफेथ एल्ताहिर ने बताया कि सिंधु और गंगा नदियों की घाटियों में पानी है। खेती भी वहीं होती है। वहीं आबादी भी तेजी से बढ़ी है। उनका कहना है कि हमारे नक्शे से जाहिर होता है कि किन जगहों पर अधिकतम तापमान है। ये वही जगहें हैं जहां अपेक्षाकृत गरीब लोग रहते हैं जिन्हें खेती का काम करना होता है और वो उसी जगह हैं जहां खतरा सबसे ज्यादा है।

प्रोफेसर एल्ताहिर कहते हैं कि अगर आप भारत को देखते हैं तो जलवायु परिवर्तन सिर्फ कल्पना भर नहीं लगती। लेकिन इसे रोका जा सकता है। दूसरे शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगाने के लिए उपाय नहीं किए गए तो इस अध्ययन में बताई गई नुकसानदेह स्थितियां सामने आ सकती हैं।

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